बांग्लादेश में द्र्न्दगी के साथ बरपाया जा रहा है हिन्दुओं पर कहर
बांग्लादेश में हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, हिंदू परिवारों को उनकी संपत्ति से बेदखल करके उन्हें शरणार्थी बनने के लिए मजबूर किया जा रहा है।बांग्लादेश में पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बड़ी ही तेजी से बदल रहा है। वहां कट्टरपंथी हमले बढ़ रहे हैं, हिंदू, हिंदुओं के घर और हिंदुओं के मंदिर निशाना बन रहे हैं। सबसे ताजा घटना ब्राह्मणबरिहा जिले के नासिरनगर की है जहां शुक्रवार को कुछ लोगों ने हिंदुओं के 6 घरों को जला दिया। दो मंदिरों में भी तोड़फोड़ की गई। इस घटना से यहां रहने वाले हिंदू इतनी दहशत में हैं कि उनके अपना घर छोड़ कर कहीं और पलायन कर जाने की खबरें हैं। खास बात ये भी है कि हिंसा की यह घटना उसी इलाके में हुई है जहां एक फेसबुक पोस्ट को इस्लाम विरोधी बताकर 30 अक्टूबर को यानी ठीक दीवाली के दिन हिंदुओं के करीब 20 घरों और 15 मंदिरों में तोड़-फोड़ की गई थी।
फेसबुक पोस्ट की उस घटना पर बांग्लादेश का कानून अपना काम करता, धर्म के कट्टरपंथी ठेकेदार हिंदू इलाकों में पहुंच गए। सबसे पहले इन इलाको में मदरसे के छात्रों ने प्रदर्शन किया और फिर कट्टरपंथी संगठनों ने आरोपी को मौत की सज़ा देने की मांग की। इस दौरान प्रदर्शन के बहाने ही मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर हमले शुरू हो गए। बांग्लादेश की पुलिस ने दावा किया है कि हमले की दोनों घटनाओं के बाद 44लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है, दोषियों की पहचान करके उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन वो उस वक्त कहां थी जब हमले हो रहे थे, ये बड़ा सवाल है। मामले पर सियासत भी गर्माई हुई है।
हिंदुओं ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के विरोध में ढाका के शाहबाग चौक में रैली निकाली। रैली में शामिल हुए हिंदुओं की संख्या इतनी ज्यादा थी कि शाहबाग इलाके में ट्रैफिक डेढ़ घंटे तक थमा रहा। उन्होंने सत्तारूढ़ अवामी लीग के ज्वाइंट जनरल सेक्रेटरी महबुल आलम हनीफ को कार से बाहर निकलने को मजबूर किया, आखिर में वो आश्वासन देते हुए आगे बढ़े। कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने भी हिंदुओं के समर्थन में नेशनल प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों ने बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार को भी जगाया और सरकार ने एकबार फिर कहा कि वो हिंदुओं के साथ है। बांग्लादेश के परिवहन मंत्री अब्दुल कादिर ने हिंदुओं पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया और कहा कि बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू खुद को अल्पसंख्यक या अकेला न समझें क्योंकि ये सरकार उनके साथ है..पीएम शेख हसीना की अगुआई वाली सरकार का रुख इस मामले में सख्त है। लेकिन सवाल ये है कि कोरे आश्वासनों से कब तक काम चलेगा?
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हमले पुजारियों की हत्याएं, हिंदू व्यापारियों पर हमले ये अब रोजमर्रा की बातें हो चली हैं, ठीक वैसे ही जैसे कि पाकिस्तान में होता आया है। जाहिर है ये सब यों ही नहीं हो रहा, ये सब सिर्फ आपराधिक घटनाएं भर नहीं हैं। बांग्लादेश के नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन तक ने कहा है कि देश में कई हिंदू मंदिरों को सोची-समझी साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है। वहां के मानवाधिकार आयोग के सदस्य इनामुल हक चौधरी ने कहा कि एक ही समूह संगठित तरीके से इन हमलों को अंजाम दे रहा है, हमारी जांच जारी है। सवाल ये उठता है कि ये समूह कौन सा है, क्यों सरकार उस तक नहीं पहुंच पा रही है, या फिर उस पर लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है।