प्रमोट हुए हजारों कर्मियों को बड़ा झटका, वापसी को तैयार रहें


राज्य सरकार ने इसके लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से 14 नवंबर 2014 के आदेश को आधार बनाया है। इस प्रकार सभी विभागों से ऐसे कर्मचारियों की सूची तलब कर ली गई है, जिन्हें उपरोक्त नीति के तहत प्रमोट किया गया था।
प्रदेश के मुख्य सचिव के निर्देश पर सामान्य सेवाएं-3 ब्रांच के सुपरिटेंडेंट की ओर से शुक्रवार को सभी प्रशासनिक सचिवों, सभी विभाग प्रमुखों, अंबाला, हिसार, रोहतक व गुड़गांव डिवीजनों के आयुक्तों, सभी बोर्डों, निगमों व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंध निदेशकों, सभी जिला उपायुक्तों, एसडीएम के अलावा प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों केरजिस्ट्रार और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के नाम पत्र भेजकर दो दिन के अंदर प्रमोट कर्मियों की जानकारी देने के लिए कहा गया।
पत्र में कहा गया है कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एससी कर्मचारियों को प्रमोशन में 20 फीसदी आरक्षण दिए जाने के सरकारी फैसले को सात अगस्त 2012 को� रद्द कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने 14 नवंबर 2014 को इसी विषय से जुड़े एक मामले में निर्देश दिया है कि जिन कर्मचारियों को उक्त नीति के तहत प्रमोट किया गया है, उन्हें हाईकोर्ट के फैसले की प्रति मिलने केतीन माह के अंदर रिवर्ट कर दिया जाए। इसलिए प्रमोट किए गए कर्मचारियों की पूरी जानकारी दो दिन में उपलब्ध कराई जाए।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में एक फैसले में कहा था कि तरक्की में आरक्षण देने से पहले कर्मचारियों का डाटा एकत्र किया जाना चाहिए। हरियाणा में एससी कर्मचारियों को तरक्की देने का सिलसिला जारी रहा, लेकिन साल 2013 में सरकार ने तरक्की नीति तैयार कर ग्रुप -सी व डी में अनुसूचित जाति के कर्मियों को 20 प्रतिशत आरक्षण दे दिया।
इस नीति को सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। आरोप लगाया था कि सरकार ने तरक्की नीति बनाते वक्त डाटा एकत्र नहीं किया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट केनिर्देश का उल्लंघन किया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा है कि जो प्रमोशन दी गई हैं, सरकार उन्हें भी तीन महीने में वापस लेकर संबंधित कर्मचारियों को रिवर्ट करें।