अभी-अभी: पीएम मोदी ने चीनी कंपनियों के लिए उठाया ये कडा कदम, चीन में मचा हाहाकार
चीन की चोरी और सीनाजोरी बंद होने का नाम नहीं ले रही है. एक ओर तो चीन विवादित सीमा इलाके में सदर निर्माण कार्य करने की कोशिश कर रहा है और ऊपर से भारत को हूल देने के लिए चीन ने मानसरोवर यात्रा को बंद कर दिया है. इसके बाद अब भारत के चीन के खिलाफ एक बड़े एक्शन की खबर सामने आयी है.
एक वर्ष के लिए चीनी दूध उत्पादों पर प्रतिबंध
मोदी सरकार ने चीन से दूध और दूध उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध को एक वर्ष के लिए और बढ़ा दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि प्रतिबंध को 24 दिसम्बर 2010 से एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है.
बता दें कि पिछले साल 24 जून को चीन से दूध और दूध उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध को छह महीने के लिए बढ़ाया गया था. सितम्बर 2008 से देश में चीन से इन उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध चल रहा है. दरअसल चीन ने मिलावट की सभी हदें पार कर दी थी, जिसके बाद अपने नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भारत को चीन के इन उत्पादों पर प्रतिबन्ध लगाना पड़ा था.
मिलावटी सामान के कारण चीन को चपत
अधिसूचना के अनुसार चीन से भारत को आयात होने वाले जिन उत्पादों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है, उनमें चाकलेट और चाकलेट उत्पाद, कैंडी, कन्फैक्शनरी और दूध से तैयार किए गए खाद्य उत्पाद हैं. बताया जा रहा है कि चीनी के इन उत्पादों में खतरनाक रसायन मेलामाइन होने के कारण यह प्रतिबंध लगाया गया है.
भारत सरकार की ओर से जारी किये गए एक वक्तव्य में इस बात की जानकारी दी गई है. चीन पर लगा ये प्रतिबंध 24 दिसम्बर को खत्म हो गया था लेकिन अब इस प्रतिबन्ध को फिर से बढ़ा दिया गया है. नयी रोक 23 दिसम्बर 2018 तक जारी रहेगी, यानी अगले एक साल तक चीन दूध से बने कोई भी उत्पाद भारत में नहीं बेच सकेगा.
इस प्रतिबन्ध से चीन को प्रतिवर्ष करोड़ों का घाटा हो रहा है. वहीँ भारतीय कंपनियों को इससे राहत भी पहुंची है. अभी हाल ही में गेल द्वारा विकसित की जा रही पाइपलाइन के 3 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से चीनी कंपनियों को निकाल कर भी पीएम मोदी ने चीन को सख्त सन्देश दिया था. ‘इंडिया फर्स्ट‘ पॉलिसी द्वारा पीएम मोदी धीरे भारतीय कंपनियों को प्राथिमिकता देते जा रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उलंघन किये बिना चीन को जोर के झटके धीरे-धीरे दे रहे हैं. भारत की बढ़ती हुई ताकत और अपनी कंपनियों के अरबों के नुक्सान को देख चीन की बौखलाहट स्पष्ट दिखाई दे रही है.