पांचवां दिन नामचीन हस्तियों के नाम

jagran-film-festival_2015102_23542_02_10_2015मुंबई। मुंबई में छठा जागरण फिल्म फेस्टिवल का पांचवां दिन आजादी व महात्मा की थीम को समर्पित रहा। विभिन्न फिल्मकारों व रंगमंच के कर्मियों ने सफल होने का मूल मंत्र पूर्वाग्रहों व नकारात्मक विचारों की बेड़ियों की कैद से खुद की आजादी को बताया।

सुबह की शुरुआत पृथ्वी थिएटर में “द रिटर्न ऑफ महात्मा” सेशन से हुई। उसमें दर्शन जड़ीवाला, सुरेंद्र राजन, अभिजीत दत्ता ने हिस्सा लिया। दोपहर में तकनीकी वजहों से “मेरठिया गैंगस्टर” की स्क्रीनिंग बाधित हुई, मगर फिल्म की टीम ने दर्शकों के साथ लंबी बातचीत की। शाम की शान कबीर खान, केतन मेहता तो रहे ही, स्स की “द टू विमेन” और पोलैंड की “ईडा” को देखने महिला दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी।

“द रिटर्न ऑफ महात्मा” के सेशन को अतुल तिवारी ने मॉडरेट किया। उन्होंने कहा, “2 अक्टूबर को मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। हम मोहनदास नहीं, महात्मा की दक्षिण अफ्रीका से वापसी की जन्मशती मना रहे हैं।

सौभाग्य से उनका जन्मदिन हमारे जश्न की तारीख में आ गई।” दर्शन जड़ीवाला ने “गांधी माय फादर” में गांधी का रोल प्ले किया था। कथा मूल में बापू और उनके पिता का द्वंद्व था। उनकी सोच-अप्रोच से पूरी दुनिया वाकिफ थी, पर उनके गहरे काठियावाड़ी दोस्त और बेटे हरिलाल उनसे इत्तफाक नहीं रखते थे।

बहरहाल, दर्शन जड़ीवाला ने कहा, “मैं उनसे बड़ा प्रभावित हूं। आज की तारीख में गांधीजी को हम सबसे बड़ी श्रद्धांजलि ज्यादा से ज्यादा मेहनत कर दे सकते हैं।” सुरेंद्र राजन ने कहा, “मेरा तो जन्म ही शायद गांधी को प्ले करने के लिए हुआ है। वे मेरे अंदर पूरी तरह रच-बस चुके हैं।”

गांधीजी के संदर्भ में केतन मेहता ने कहा कि गांधीजी की हत्या पर फिल्म बनाने की मेरी पुरानी योजना है। वह मैं करूंगा। मेरी बुआ ऊषा मेहता आजादी की लड़ाई में बापू के काम आई थी।

कबीर खान का सेशन दिन का सबसे बड़ा आकर्षण रहा। उन्होंने अपनी फिल्मों के फलसफे से सभी को वाकिफ कराया। उन्होंने कहा, “मेरी फिल्म में मजबूत राजनीतिक दृष्टिकोण होता है। दुनिया के साठ मुल्कों में घूमने का मौका मिला है।

अफगानिस्तान में अलकायदा व तालिबान के खतरनाक आतंकियों से मिला। एक तालिबानी ऐसा मिला, जो पाक आर्मी में कभी काम करता था। उन अनुभवों को मिलाकर “काबुल एक्सप्रेस” बनाई थी।

जीशान कादरी ने कहा, “मैं “जिद करो और दुनिया बदलो” वाले फलसफे में यकीन रखता हूं। जो काम सबसे मुश्किल है, मैं पहले उसी के तार छेड़ता हूं।”

 
 

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