देश में अगले साल से बिकेंगे वाहनों के खास किस्म के ईंधन, वाहन को मिलेगी नई जान…
देश में अगले साल से वाहनों के खास किस्म के ईंधन बिकेंगे। अगले साल 1 अप्रैल से सिर्फ बीएस-6 ग्रेड के वाहन ही बिकेंगे और इसके लिए बीएस-6 ग्रेड के फ्यूल ही बिकेंगे। यह खास किस्म का ईंधन तैयार करेगी बठिंडा की गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी। यह ईंधन प्रदूषण कम करने में मददगार होने के साथ ही वाहनों को नई ताकत भी देगा। रिफाइनरी ने इस ईंधन को तैयार करना का काम शुरू कर दिया है।
बठिंडा की गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी बनाएगी बीएस-6 फ्यूल, प्रोजेक्ट दिसंबर तक होगा पूरा
रिफाइनरी में पल्यूशन कम करने वाले बीएस-6 फ्यूल का उत्पादन करने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में बीएस-3 सीरीज के वाहनों को बंद कर बीएस-4 बेचने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अब सिर्फ बीएस-6 वाहनों को 1 अप्रैल 2020 से बेचने के आदेश जारी किए हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने बीएस-6 ग्रेड फ्यूल को तैयार करने के लिए देश की रिफाइनरियों को निर्देश दिए हैं। इन सबमें बठिंडा की गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी इस पर तेजी से काम कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि यहां पर बीएस-6 फ्यूल को तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट लगाने के अलावा पूरी योजना बना ली गई है। इस प्रोजेक्ट को दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद यहां से पूरे यह पूरे देश में बीएस-6 फ्यूल की सप्लाई होगी। फिलहाल बठिंडा की रिफाइनरीने इसको पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया है।
बीएस-4 से सीधा बीएस-6 ग्रेड फ्यूल का मतलब है कि ईंधन में सल्फर की मात्रा को कम किया जाना है। अभी बीएस 4 पेट्रोल और डीजल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम यानी पार्ट्स पर मिलियन है। बीएस-6 ग्रेड फ्यूल में सल्फर की मात्रा महज 10 पीपीएम रहना है। दूसरी तरफ बीएस-6 फ्यूल के साथ थोड़ा बहुत रेट भी बढऩे की संभावना है, लेकिन तेल कंपनियों का कहना है कि फिलहाल इसको लोगों से नहीं वसूला जाएगा।
आप पर क्या होगा असर
अब सवाल यह उठता है कि बीएस-6 ईंधन को क्या हम अपने मौजूदा बीएस 3 व बीएस 4 ईंधन के अनुकूल बने वाहनों में इस्तेमाल कर सकते हैं? जी हां, आप ऐसा कर सकते हैं और यह फायदेमंद भी है। ईंधन में सल्फर की मात्रा जितनी कम होगी, वह उतना ही कम जलेगा। कम सल्फर वाला पेट्रोल कम पॉल्यूशन पैदा करेगा। इतना ही नहीं, सल्फर की मात्रा कम होने से पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा भी धुएं में कम होगी। एक अनुमान के मुताबिक बीएस-4 के अनुरूप बनी डीजल कार को अगर बीएस-6 ईंधन पर चलाया जाए तो औसतम 50 पर्सेंट तक कम पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जित होगा।
इससे होगा यह फायदा
– हवा में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। हवा में जहरीले तत्व कम हो सकेंगे।
– बीएस-4 के मुकाबले बीएस-6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे।
— नाइट्रोजन डाइऑक्साइड,कार्बन मोनोऑक्साइड,सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस-6 ग्रेड का डीजल काफी अच्छा होगा।
अभी वाहनों से फैल रहा ऐसा प्रदूषण
– धुएं से पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 जैसा खतरनाक कण और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस (नॉक्स) निकल रहा है।
– पीएम 2.5 कणों से अस्थमा,ब्रांकाइटिस, ह्रदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं।
– नाइट्रोजन ऑक्साइड वातावरण के हाइड्रोकार्बनों से मिलकर खतरनाक ओजोन गैस बनाती है।
अभी ऐसे हो रही ईंधन की सप्लाई
पंजाब के अलावा जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्सों व उत्तर भारत में बीएस-4 फ्यूल की सप्लाई हो रही है। देश के बाकी हिस्सों में बीएस-3 फ्यूल की सप्लाई हो रही है।
बीएस-5 क्यों लागू नहीं हुआ
इसकी एक वजह ये है कि बीएस-5 और बीएस-6 ईंधन में जहरीले सल्फर की मात्रा बराबर होती है। जहां बीएस-4 ईंधन में 50 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) सल्फर होता है। वहीं, बीएस-5 व बीएस-6 दोनों तरह के ईंधनों में सल्फर की मात्रा 10 पीपीएम ही होती है। इसलिए सरकार ने बीएस-4 के बाद सीधे बीएस-6 लाने का फैसला किया।