…तो इस इसलिए दुल्‍हन हमेशा होती है दूल्‍हे के बाईं ओर

शादी ब्‍याह के समारोह में के पहले और उसके दौरान कई रीति रिवाजों का पालन किया जाता है कई योजनायें बनाई जाती हैं। नाते रिश्‍तेदार कई तरह के सवाल करते हैं जैसे लड़का क्‍या करता है, लड़की कितना पढ़ी है और उनका परिवार कैसा है।...तो इस इसलिए दुल्‍हन हमेशा होती है दूल्‍हे के बाईं ओर

इसके बावजूद एक बात ऐसी है जिस पर कोई सवाल नहीं करता कि आखिर वधु वर के बायीं ओर ही क्‍यों होती है। आइये हम बताते हैं विभिन्‍न धर्मों में इसका क्‍या है कारण।

हिंदू विवाह में 

सबसे पहले बात करते हैं हिंदु विवाह की यहां भी दुल्‍हन को दूल्‍हें के बांई ओर बिठाया जाता है और ये परंपरा आजीवन चलती है। हर धार्मिक अनुष्‍ठान में पत्‍नी पति के बाईं ओर ही बैठती है। वधु, वर के बाईं ओर बैठती है, इसीलिए पत्नी को ‘वामांगी’ भी कहा जाता है। 

ज्‍योतिष के अनुसार: इसका एक कारण तो ज्‍योतिष शास्‍त्री ये बताते हैं कि पत्नी का स्थान पति के बाईं ओर ही होता है, क्‍योंकि शरीर और ज्योतिष, दोनों विज्ञान में पुरुष के दाएं और स्त्री के बाएं भाग को शुभ और पवित्र माना जाता है।

हस्‍तरेखा के अनुसार: हस्तरेखा शास्त्र में भी महिलाओं का बायां और पुरुष का दायां हाथ ही देखा जाता है। शरीर विज्ञान के अनुसार मनुष्य के शरीर का बायां हिस्सा मस्तिष्क की रचनात्मकता और दायां हिस्सा उसके कर्म का प्रतीक है।

मानव स्‍वभाव के अनुसार: सभी मानते हैं कि स्त्री का स्वभाव प्रेम और ममता से पूर्ण होता है और उसके भीतर रचनात्मकता होती है, इसीलिए स्त्री का बाईं ओर होना प्रेम और रचनात्मकता की निशानी है। वहीं पुरुष हमेशा दाईं ओर होता है क्‍योंकि ये इस बात का प्रमाण होता है कि वो शूरवीर और दृढ होगा। पूजापाठ या शुभ कर्म में वह दृढ़ता से उपस्थित रहेगा। जब भी कोई शुभ कार्य दृढ़ता और रचनात्मकता के मेल के साथ संपन्न किया जाता है तो उसमें सफलता मिलना निश्‍चित है।    

  क्रिश्‍चियन विवाह में 

ऐसा नहीं है कि स्‍त्री के वाम अंग पर रहने की परंपरा केवल हिंदू विवाह में होती है। क्रिश्‍चियन शादी में भी दुल्‍हन हमेशा पुरुष के बाईं ओर खड़ी होती है। इसके भी कई धर्मिक और सामजिक कारण है। 

शक्‍ति के अनुसार: ईसाई विवाह में भी पुरुष रक्षक और शक्‍ति का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि ये परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। जब राज्‍यों और कबीलों की आपसी लड़ाईयां चलती रहती थीं। पुरुष पर स्‍त्री की रक्षा करने का दायित्‍व होता था। ऐसे में किसी हमले की संभावना होने पर पुरुष अपनी तलवार से शत्रु को रोक सके और पत्‍नी घायल भी ना हो तो उसका राइट हैंड फ्री रखने के लिए ब्राइड लेफ्ट में खड़ी होती थी।  

कर्मकांड के अनुसार: कैथलिक मान्‍यताओं के अनुसार स्‍त्री बाई ओर इसलिए होती है ताकि वो वर्जिन मेरी के करीब रहे और उसके कौमार्य की पवित्रता बनी रहे। 

सामाजिक कारण: वहीं विदेश में राजधर्म रहा है और क्‍वीन सत्‍ता के शीर्ष पर रहती रही हैं तो क्‍वीन को हमेशा राइट में रहना होता है। 

 

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