तुम घिर चुके हो हिन्दुओं!! एक हिन्दू के दिल से निकली आवाज…..

प्रत्येक आर्मी बेस कैम्प, बीएसएफ हेडक्वार्टर, वायुसेना अड्डों के बिल्कुल बगल में, हरे चादर डली मजारें होती हैं। सभी सुरक्षा बलों की लोकेशन के आस पास आपको मजार, मदरसा या मस्जिद मिलेगी। खुद फौजी वहाँ चढ़ावा करते हैं।

तुम घिर चुके हो हिन्दुओं!! एक हिन्दू के दिल से निकली आवाज.....

 

हाईवे और सड़कों के किनारे उग आई मजारों पर हिन्दू अपनी मौत का सामान रख आते हैं, बाकायदा चुम्मी दिलवाकर। उनकी बहन बेटियां, मौलवियों से फूंक लगवा आती है। पूरी बोर्डर पट्टी, हरी आबादी से आच्छादित है।

दुकान, ऑफिस, घर, मुहल्ले में भाईजानों की चहलकदमी है।

तुम घिर चुके हो हिन्दुओं!!!

तुम्हारे स्कूल कॉलेज, टैक्सी ट्रैन, मन्दिर महफिल, कुछ भी सुरक्षित नहीं है। तुमने अपने आदर्श बदल लिए, तुम्हारी घर वाली का “हीरो” कोई और है… खान उपनाम से। तेरा यहाँ कोई नहीं। तू अपनों परायों को चिह्नने में असफल हुआ है। खिसकती जमीन की आहट से बेखबर, तू हर क्षण मौत के मुंह में जा रहा है। शांतिकाल में बल का केंद्र “धन” होता है, तू मरघट वाली शांति की चादर ताने सो रहा है।

अशांति के माहौल में तो शारीरिक बल, शस्त्र और पशुबल ही हावी होता है। वह तुझसे छिना जा चुका है!!! तेरी मखमली सेज़, तेरे ही रक्त से रंजित करने की प्लानिंग हो रही है। अपनों को भरपेट गाली देने वाले, और उधर की गुंडागर्दी को सहते जाने की तुम्हारी आत्मघाती वृत्ति तुम्हें प्रतिपल बलि का बकरा बनाये जा रही है।

किसी “सुविधाजनक” जगह बैठ, बकवाद झाड़ते तुम अपनी असलियत तो जानते ही हो, कि कैसे हर बार मन मसोस कर रह जाना पड़ता है, “उन” मुहल्लों में से गुजरते हुए, उधर का तगादा करते या लेन देन में, कैसे इस तरफ शेर दिखने वाले, उधर गाय हो जाते हो? सच में तुम घिर चुके हो!!

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