

फूल सी नवजात को लेकर बैकुंठ धाम पहुंचे परिवारीजनों के उस वक्त होश उड़ गए जब पिता ने नन्ही सी जान का मुंह गंगाजल डालने को खोला। बच्ची की सांसें चलने लगीं और उसमें हरकत दिखी। आनन-फानन में वे लोग उसे लेकर अस्पताल पहुंचे।
भारी हंगामे के बीच डॉक्टरों ने नवजात को एनआईसीयू में भर्ती किया लेकिन पांच घंटे बाद उसकी मौत हो गई। घरवालों का आरोप है कि यदि समय रहते डॉक्टरों ने बच्ची को देखा होता तो उसकी जान बच सकती थी। अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया है।
अमेठी के शुक्लाबाजार निवासी शिवभूषण पाठक की पत्नी वंदना (25) को प्रसव पीड़ा के बाद सोमवार रात नौ बजे लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वंदना की बहन रेखा मिश्रा ने बताया कि बृहस्पतिवार को तड़के चार बजे तेज प्रसव पीड़ा होने पर हॉस्पिटल की इमरजेंसी में डॉक्टर और नर्स को बुलाने पहुंचीं।
15 मिनट तक चक्कर लगाती रहीं लेकिन कोई न मिला। आया जरूर आई और वंदना को लेबर रूम लेकर चली गई। करीब सवा पांच बजे के करीब वंदना ने बेटी को जन्म दिया।
यहां जैसे ही गंगाजल डालने को बच्ची का मुंह खोला, उसमें हरकत देख घरवाले हॉस्पिटल की ओर भागे। महिला इमरजेंसी पहुंच हंगामा करने लगे। मामले की गंभीरता समझ में आते ही डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के होश तक उड़ गए।
आननफानन में जांच की तो बच्ची की धड़कन चलती मिली। उसे एनआईसीयू में भर्ती कराया गया। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दोपहर दो बजे के करीब उसकी मौत हो गई।
दो जान खतरे में डाल सोती रहीं डॉक्टर और नर्स
परिवारीजनों का आरोप था कि सुबह पांच बजे इमरजेंसी में तैनात महिला डॉक्टर और स्टाफ नर्स सो रहे थे। गार्ड डयूटी से गायब था। मदद के लिए भटकते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुना। सामान्य प्रसव आया ने कराया।
जानकारी के मुताबिक जो बाल रोग विशेषज्ञ ड्यूटी पर तैनात थे, उनके 31 दिसंबर की रात न्यू ईयर पार्टी में व्यस्त रहने के कारण नवजात की मौत हो जाने का आरोप पहले भी लग चुका है। मामले की जांच हुई और डॉक्टर दोषी पाया गया। शासन तक शिकायत हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
मामले की जांच का आदेश दिया है
मामले पर डॉ राम मनोहर लोहिया के सीएमएस डॉ. आर सी अग्रवाल का कहना है कि महिला अस्पताल में इस तरह की घटना की जानकारी मिली है। नवजात को शमशान घाट से वापस लाने के बाद एनआईसीयू में भर्ती कराया गया था लेकिन दो बजे उसकी मौत हो गई। नवजात का जन्म छह महीने की गर्भावस्था में हुआ था।
प्रसव के बाद महिला डॉक्टर और बाल रोग विशेषज्ञ को नवजात की जांच करनी चाहिए थी। हार्ट बीट से पता चल सकता था। जिंदा नवजात को मृत कैसे घोषित कर दिया गया, इसके लिए इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात डॉ. नीलम सोनी, डॉ. संदीपा श्रीवास्तव और बाल रोग विशेषज्ञ से जवाब तलब किया गया है। मामले की जांच के लिए आदेश दे दिया गया है।
मां बोली, एक बार देख लेती डॉक्टर तो गोद में होती लाडली
नवजात की मां वंदना पाठक की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वो बस यही कहकर फफक-फफक कर रो रही थी कि एक बार डॉक्टरों ने उनकी लाडली को देख लिया होता तो नन्हीं सी जान की इतनी दुर्गति नहीं होती। आज उनकी लाडली उनकी गोद में होती।
पिता ने कहा, उफ! जिंदा कलेजे के टुकड़े को दफनाने ले गया मैं…
शिवभूषण कहते हैं कि समय से पहले प्रसव हुआ, इसका मतलब ये तो नहीं कि आप बिना देखे मृत घोषित कर देंगे। डॉक्टरों ने संवेदनशीलता दिखाई होती तो, जिंदा नवजात को मृत समझकर एक पिता को उसका शरीर शमशान घाट तक नहीं ले जाना पड़ता। डॉक्टरों की लापरवाही ने एक पिता से भी अपराध कराया है और इसके लिए कोई माफी नहीं दे सकता।
2. आया ने कराया प्रसव, नवजात को बताया दिया मरा हुआ
3. तीन घंटे तक लेबर रूम में फर्श पर पड़ा रहा नवजात
4. प्रसव के बाद भी कोई डॉक्टर या नर्स नहीं देखने आई प्रसूता को
कब-क्या और कैसे हुआ
04 बजे तड़के वंदना को प्रसव पीड़ा हुई
05.15 बजे नवजात बच्ची का जन्म
07.45 बजे कपड़े में लपेट कर नवजात के अंतिम संस्कार के लिए पिता को सौंपा
8.30 बजे पिता शिवभूषण बैकुंठ धाम पहुंचे, बच्चे में दिखी हरकत
9.15 बजे भागते-भागते लोहिया अस्पताल पहुंचे, हंगामे के बाद एनआईसीयू में भर्ती
02 बजे दोपहर में थम र्गईं नवजात की सांसें।