डांस करने से बढ़ता है स्टेमिना, दूर हो जाती हैं सारी बीमारियां

डांस से न सिर्फ फिटनेस मिलती है बल्कि कई बीमारियों में भी आराम मिलता है। अब तक हम ये बातें सुनते आए हैं लेकिन अब एक रिसर्च ने भी इस पर मुहर लगा दी है। हाल में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि इससे शरीर का स्टेमिना तो बढ़ता ही है, इसके अलावा डांस से स्ट्रेस दूर होता है जिससे दिमाग को भी सुकून मिलता है और कॉन्फिडेंस बढ़ता है। डांस करने से बढ़ता है स्टेमिना, दूर हो जाती हैं सारी बीमारियां

क्‍या कहती है रिपोर्ट 
डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यॉर्कशायर डांस और लीड्स विश्वविद्यालय द्वारा की गई रिसर्च में सामने आया है कि जो लोग किसी ना किसी आर्ट से जुड़े होते हैं वो आसानी से स्ट्रेस को हैंडल कर पाते हैं। 2 साल में पूरी हुई इस रिसर्च में 10 से 20 साल के ऐसे बच्चों को शामिल किया गया था, जिनको अपने घर की जरूरतों को पूरी करने में भी समस्या का सामना करता पड़ता है। रिसर्च में इनको वीकली डांस सेशन में शामिल किया जाता है और इसके बाद उनसे एक इंफॉर्मल इंटरव्यू और पेपर के जरिए कुछ सवाल किए जाते हैं। इनके जवाब से पता चला कि डांस की मदद से माता-पिता, समाज और टीचर्स के प्रति इनके व्यवहार में सकारात्मकता आई है। 

फिटनेस फंडा आजकल जरूरत के साथ-साथ ट्रेंड भी बनता जा रहा है। इसके लिए डायट से लेकर योग, ऐरोबिक्स, जिम वगैरह खूब पॉप्युलर हैं। लेकिन इन दिनों महिलाओं के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रही है- डांस थेरपी। डांस करने से फैट तो कम होता ही है, बॉडी भी स्लिम-ट्रिम हो जाती है। डांस थेरपी हर उम्र में अलग-अलग तरह से फायदा पहुंचाती है। डॉक्टर्स के मुताबिक, डांस करने से कुछ समय के लिए आप सारी टेंशन भूल जाते हैं। उस दौरान बॉडी में जो हार्मोंस ऐक्टिव होते हैं, वे लॉन्ग टर्म फायदा देते हैं। आगे की तस्वीरों में जानें, इस स्पेशल थेरपी के फायदे-

  • इसमें कथकली, ओडिसी, भरतनाट्यम, कथक आदि स्टाइल आते हैं। इनमें कई तरह की भाव भंगिमाओं द्वारा व्यक्ति को निरोगी बनाया जाता है। इसमें पेशंट की सिचुएशन के हिसाब से उसके लिए डांस व उसका समय डिसाइड किया जाता है। क्लासिकल डांस राइट पॉश्चर बनाने में भी हेल्प करता है। कथक टीचर विजयश्री चौधरी कहती हैं, ‘डांस करना लगता तो खेल की तरह है, लेकिन यह आपको हाई लेवल का मेडिटेशन देता है। साथ ही, वर्कआउट का सबसे अच्छा तरीका भी है।’
  • बी-बोइंग मार्शल आर्ट और कुछ दूसरे डांस का मिलाजुला रूप है। इस डांस में स्ट्रेंथ और फ्लेक्सेबिलिटी होना बेहद जरूरी है। इससे बांहों और पांवों की फुल एक्सरसाइज होती है। खासतौर पर इस डांस को फैट कम करने में यूज किया जाता है। जिम ‘ट्रांसफॉर्म’ के ओनर रंजीत बताते हैं, ‘यूथ के बीच बी बोइंग डांस बेहद पॉप्युलर है। इसे ऐरोबिक्स का 2013 वर्जन भी कहा जा सकता है।’
  • किसी भी तरह का डांस आपके लिए कंफ़र्टेबल होगा, अगर आप उसे थेरपी के रूप में करेंगी। डांस इंस्ट्रक्टर सुबोध ओझा कहते हैं, ‘कंटेम्प्ररी डांस में कई पैटर्न हैं, जो आपके ध्यान को बांधने में मदद करते हैं। क्लास में हाइपर ऐक्टिव बच्चे को डिसिप्लिन में रखने के लिए भी इस डांस को करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसमें बच्चे की एनर्जी का पूरा यूज होता है।’
  • इन दिनों जमाना है बॉलिबिक यानी बॉलिवुड के हीरो हीरोइनों की तरह लटके-झटके लगाने का। इसमें आप अपनी मनपसंद ट्यून लगाकर उस पर ऐरोबिक्स कर सकती हैं। इसमें फिल्मी गानों पर डांस करवाया जाता है। बॉलिबिक डांस जिम से लेकर घर तक में करवाया जाता है। कुछ लोगों का मकसद अपनी डांस हॉबी को पूरा करना होता है, तो कुछ लोग इसे बॉडी फिट रखने के लिए करते हैं।
  • यह डांस यूथ के बीच बेहद फेमस है। इस डांस में पॉपिंग, लॉकिंग, कॉपिंग व ब्रेकिंग जैसे स्टेप्स किए जाते हैं। इसे केवल पांच मिनट करने से आप अपनी सारी टेंशन से बाहर आ जाते हैं।
  • बेली डांस में पेट का अलग-अलग तरीकों से मूवमेंट किया जाता है। बेली डांस करते हुए आगे की ओर झुका जाता है। इससे फिजिकल वर्क अधिक होता है। इसमें पांच से सात मिनट का डांस ही काफी हो जाता है।
  • इसके स्टेप्स व फ्री स्टाइल डांसिंग सीखने की जरूरत होती है। इनमें मसल्स की अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है।
  • डॉक्टर निखिल कहते हैं, ‘डांस थेरपी का यूज डिप्रेशन, हार्ट प्रॉब्लम, जॉइंट पेन, ऑस्टियोपोरोसिस, डिस्लैक्सिया और यहां तक कि पार्किंसन जैसी बीमारियों के इलाज में भी होने लगा है।’ डांस करने के दौरान हमारी बॉडी की मसल्स का यूज होता है। इस तरह से बॉडी की जोड़ों को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर मसल्स को स्ट्रॉन्ग और ऐक्टिव बनाने में मदद मिलती है। 10 मिनट डांस करने से न केवल टेंशन से राहत मिलती है, बल्कि आप डिप्रेशन से भी बाहर निकल आते हैं।
  • – उस कमरे को क्लीन रखें और खाली रखें, जहां आपको डांस करना है।
    – लूज कपड़े पहनकर ही करें डांस।
    – कुछ तेज और एनर्जेटिक डांस करें, लेकिन फास्ट मूव्स में प्रैक्टिस के बाद ही आएं।
    – 10 मिनट रोजाना डांस करें जिससे आपका मूड व बॉडी एकदम फ्रेश रहे।

परेशान लोगों को मिलता है फायदा 
रिपोर्ट के अनुसार डांस न केवल आपको फिट रखने में मदद करता है बल्कि इससे व्यक्ति के संपूर्ण विकास करने में मददगार साबित होता है। इससे फैसला लेने की क्षमता और तनाव से लड़ने को मजबूती मिलती है। 

डांस की ये खासियत जानते हैं आप 

डांस को एक थेरपी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इसमें न केवल दिमाग एक्टिव होता है बल्कि आपके दिमाग की नसें भी खुलती हैं। 

डांस थेरपी को रुटीन में शामिल करने से हेल्दी रहेंगे और आपका मूड हमेशा कूल रहेगा। 

डांस से ऑस्टियोपोरोसिस (हडि्डयों का कमजोर होना ) बीमारी होने का खतरा भी कम रहता है। 

डांस हॉर्मोंस को कंट्रोल करता है और साथ ही हड्डियों में कैल्शियम की सही मात्रा बनाए रखने में मदद करता है। 

रोजाना डांस करने से आप 150 से 500 कैलरी तक कम कर सकते हैं। यूं तो वजन कम करने के लिए जुम्बा डांस को सबसे बेहतर माना गया है। 

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