टेक्नोलॉजी के साथ-साथ बदल रहा वक्त, ऐसे बिक रहा हैं ऑनलाइन सेक्स…

भारत में सेक्स इंडस्ट्री अब अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए इंटरनेट का सहारा ले रही है. आधुनिक तकनीकों की मदद से अब वर्चुअल दुनिया में जिस्मफरोशी की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है. एक ओर जहां साइबर एक्सपर्ट्स इसे युवा पीढ़ी के लिए नया खतरा बता रहे हैं, वहीं इस गोरखधंधे से जुड़े लोग पैसे कमाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.

टेक्नोलॉजी के साथ-साथ बदल रहा वक्त, ऐसे बिक रहा हैं ऑनलाइन सेक्स...

टेक्नोलॉजी के साथ-साथ बदल रहा वक्त

एक वक्त का था जब जिस्मफरोशी के लिए बाजार लगा करते थे. सेक्स रैकेट से जुड़े दलाल लड़कियों को बहला-फुसलाकर इस दलदल में धकेल देते थे. देह व्यापार में फंसी लड़कियां बाहर निकलने के लिए सामाजिक ताने-बाने से जुड़े लोगों से जिंदगी की गुहार लगाती थी लेकिन आज वक्त बदल चुका है. आज टेक्नोलॉजी हमारे जीवन में इस कदर हावी हो चुकी है कि जिस्मफरोशी से जुड़े दलालों ने भी पैसे कमाने के लिए नया रास्ता ढूंढ लिया है.

वर्चुअल दुनिया से परोसा जा रहा सेक्स

मतलब साफ है, दलालों ने लोगों तक सेक्स परोसने के लिए अब वर्चुअल दुनिया का सहारा लेना शुरू कर दिया है. वीडियो चैट, स्काइप और बढ़ती टेक्नोलॉजी के सहारे लोगों को ऑनलाइन सेक्स परोसा जा रहा है. ऑनलाइन जिस्मफरोशी से जुड़ी ढेरों अश्लील ऑनलाइन साइट्स हमारे सामने हैं. इसके लिए कीमतें भी तय कर दी गई हैं. 500 से 2000 रुपये प्रति घंटे तक का रेट तय है. इस धंधे में अच्छे परिवारों से आने वाली लड़कियां भी शामिल हैं.

45 मिनट के लिए देने होंगे 1750 रुपये

जब इससे जुड़ी एक एस्कार्ट साइट से संपर्क किया तो उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा द्वारा स्काइप पर 45 मिनट के लाइव परफॉर्मेंस के लिए 1750 रुपये की डिमांड की. यह पेमेंट ऑनलाइन करनी थी. साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो पेमेंट का यह रास्ता काफी सेफ है. ऑनलाइन होता पेमेंट और ऑनलाइन होती सेक्स इंडस्ट्री के लिए मानो यह एक वरदान है. कई बार लड़कियों की अश्लील लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग को दलाल चोरी-छिपे अपने फायदे के लिए रिकॉर्ड भी कर लेते हैं.

ऑनलाइन पेमेंट दलालों के लिए सहूलियत

किशोरों को शोषण से बचाने वाली एक सामाजिक संस्था के रीजनल कोर्डिनेटर रजीब हल्दर कहते हैं कि जिस्मफरोशी के लिए दलालों को ऑनलाइन पेमेंट काफी सहूलियत दे रहा है. इसमें पकड़े जाने का खतरा काफी कम है. हल्दर आगे कहते हैं कि इस मार्केट में वह नाबालिग लड़कियां भी शामिल होने के लिए तैयार हैं, जो अपने घरों से बाहर पढ़ाई के लिए दूसरे शहर आती हैं और जल्द पैसे कमाने की चाहत में इस गोरखधंधे से जुड़ जाती हैं.

साइबर सेक्स समाज के लिए खतरा

मुंबई हाई कोर्ट के वकील और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट प्रशांत माली कहते हैं कि साइबर सेक्स समाज के लिए एक नया खतरा है, जहां एस्कॉर्ट एजेंट ऑनलाइन तरीकों द्वारा इंटरनेट पर नाबालिगों का शोषण कर रहे हैं. यह पूरी तरह से गैरकानूनी है और आईटी एक्ट की धारा 67-बी के तहत इसमें सात साल की जेल और 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है.

वर्चुअल दुनिया में पहचान का डर नहीं

दिल्ली पुलिस के साइबर सेल अधिकारी कहते हैं कि इस तरह के मामलों को पकड़ना काफी मुश्किल होता है. दरअसल पुलिस सिर्फ शिकायत मिलने या फिर किसी सूचना के आधार पर कार्रवाई करती है लेकिन इस केस में न ही कोई पीड़िता सामने आती है और न ही उन्हें किसी दलाल की जानकारी मिल पाती है, क्योंकि यह सब एक वर्चुअल दुनिया में हो रहा होता है, जहां पहचान का कोई खतरा नहीं होता है. अधिकारी मानते हैं कि भारत में साइबर सेक्स काफी तेजी से बढ़ रहा है. फिलहाल इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार को जल्द किसी तरह के ठोस कदम उठाने की सख्त जरूरत है.

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