टिड्डियों की बिरयानी से दिल की बीमारी ठीक होती है यह खून में कॉलेस्ट्रॉल को भी कम करता है

देशभर में इन दिनों कोरोनो के बाद सबसे ज्यादा चर्चा टिड्डी दल की हो रही है, जो थोड़ी ही देर में हरियाली पर छाकर उसको चट कर जाती है।

पाकिस्तान के रास्ते ईरान से आए इस टिड्डी दल ने हरे भरे खेतों को पलभर में नष्ट कर दिया। इनके हमले से खेतों में खड़ी हुई हजारों एकड़ फसल खत्म हो गई। लाख जतन के बावजूद इनसे निपटने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है। अब तक देश के 6 राज्यों में इनका प्रकोप हो चुका है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि एक टिड्डी दिनभर में 100 से 150 किलोमीटर तक उड़ सकती है और 20 से 25 मिनट में ही एक खेत में खड़ी पूरी फसल बर्बाद कर सकती है।

4 करोड़ टिड्डियों का दल एक दिन में 35 हजार लोगों का खाना खाने में सक्षम है। इस वजह से इसको 26 साल बाद सबसे बड़ा टिड्डियों का हमला माना जा रहा है।

भारत में इनका हमला पिछले महीने शुरू हुआ जब पाकिस्तानी की ओर से टिड्डी दल राजस्थान आया और अन्य पश्चिमी राज्यों में छा गया।

राजस्थान और मध्य प्रदेश में कहर बरपाने के बाद टिड्डियों के दल ने एक बार फिर बुधवार को उत्तर प्रदेश का रुख किया और झांसी पहुंच गया और यह अब इसके महाराष्ट्र के रामटेक शहर की ओर बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

पंजाब में भी इस बार इनके हमले की आशंका है. ओडिशा मे टिड्डियों को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक राजस्थान के 21 जिले, मध्य प्रदेश के 18 जिले, गुजरात के दो जिले और पंजाब के एक जिले में अब तक टिड्डी दल पर काबू पाने के लिए आवश्यक कदम उठाये गये हैं।

राजस्थान के कृषि विभाग ने राज्य के कई जिले में टिड्डियों के सफाए के लिये ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव किया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्र के मुताबिक इस साल टिड्डी दलों ने करीब 40 से 50 हजार हेक्टेयर इलाके पर हमला किया है।

लेकिन गेहूं, दलहन और तिलहन जैसी रबी की फसलों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा है क्योंकि इनमें से अधिकतर की इस समय कटाई हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि अब कवायद जून-जुलाई में मानसून आने से पहले इसके प्रकोप को रोकने पर है जब टिड्डियों में प्रजनन हो सकता है. यदि समय रहते इसे नहीं रोका जा सका तो खरीफ की फसलों को खतरा हो सकता है।

उत्तरी हिंद और अरब सागर में 2018 में आए साइक्लोनों की वजह से सऊदी अरब के मौसम में भारी बदलाव हुआ था। वहां बारिश की वजह से रेगिस्तानी इलाकों में भी जलजमाव हुआ था।

अरब के इस रेगिस्तान में टिड्‌डी पायी जाती थी और मौसम में परिवर्तन के बाद वहां भयंकर टिड्‌डी दल पैदा हो गए। अनियंत्रित होकर यह टिड्‌डी दल अरब से यमन और फिर ओमान पहुंचे गए।

वहां भी बारिश ने टिड्‌डी को पनपने का अवसर दे दिया. अब हवा के रूख की वजह से पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुंच चुका है।। यह टिड्‌डी दल ।

कुछ देशों में टिड्डियों की बिरयानी बनाकर भी खाई जाती है। जानकारों का कहना है कि टिड्डियों में पाया जाने वाला फाइटोस्टीरॉल दिल की बीमारी में फायदेमंद होता है। यह खून में कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है।

जानकारों का कहना है कि टिड्‌डी की उम्र महज 90 दिन होती है और एक टिड्‌डी एक दिन में अपने वजन के बराबर खाना खा खाती है।

हवा में यह 5000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती है. टिड्डियों का एक दल 740 वर्ग किलोमीटर तक बड़ा हो सकता है। इनसे दुनिया के करीब 60 देश त्रस्त हैं।

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