जल्द ही नए फार्मेसी कोर्स को चलाने की मिल सकती है स्वीकृति, पीसीआइ ने बनाई कमेटी

दो साल से मान्यता का इंतजार करने वाले कॉलेजों को फार्मेसी कोर्स चलाने की स्वीकृति मिल सकती है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआइ) ने इसके लिए एक कमेटी बनाई है। आठ फरवरी को कमेटी की बैठक हुई, जिसमें फार्मेसी कॉलेजों का आकलन करने के लिए उप कमेटी गठित की गई। अब ये कमेटी कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह आकलन कर रही है कि मेडिकल सुविधाओं के मद्देनजर फार्मेसी की जरूरत कितनी बढ़ गई है।

बीफार्मा और डिप्लोमा फार्मेसी समेत अन्य कोर्स की मान्यता के लिए प्रदेश में साढ़े तीन हजार कॉलेज कतार में हैं। इनमें कानपुर के सौ से ज्यादा कॉलेज हैं। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय परिसर मेें बीफार्मा, एमफार्मा व डीफार्मा तीनों कोर्स संचालित हैं। इसके साथ ही प्रदेश के सभी फार्मेसी कॉलेज डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके यह निवेदन किया कि नए फार्मेसी कॉलेज खोलने की अनुमति दी जाए।

कोरोना काल में फार्मासिस्ट की जरूरत बढ़ी है। कोरोना के इलाज में यह फस्र्ट लाइन वॉरियर के रूप में सामने आए हैं। फिर बात चाहे मरीजों को दवाई देने की हो या उनकी केयर करने की। कोविड वार्ड में भी इनकी ड्यूटी लगाई जाती रही है, जिससे इनकी जरूरत बढ़ी है। उनकी याचिका पर पीसीआइ ने नए फार्मेसी कॉलेजों की जरूरत है कि नहीं, इसका आकलन करना शुरू कर दिया है। इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी को आठ मार्च से पहले अपनी रिपोर्ट जमा करनी है, जो 15 मार्च को पीसीआइ की बैठक में रखी जाएगी।

दो साल पहले सर्वाधिक आवेदन आने पर लगी थी रोक

दिसंबर 2018-19 में फार्मेसी कॉलेज खोलने के लिए सर्वाधिक आवेदन आ गए थे। गुणवत्ता के दृष्टिकोण से पीसीआइ ने नए कॉलेज खोलने पर पांच साल के लिए रोक लगा दी थी। अप्रैल 2019 से बीफार्मा व डिप्लोमा समेत अन्य कोर्स संचालित करने के लिए मान्यता न दिए जाने का निर्णय लिया गया था।

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