चीन में चल रही है ‘सेक्स क्रांति’, लड़के लड़की शुरु हो जाते हैं, कहीं भी कैसे भी

चीन में चल रही है ‘सेक्स क्रांति’, युवा जोड़े शुरु हो जाते हैं, कहीं भी कैसे भी , चीन में बीते 20 साल में सेक्स के प्रति रवैए में ज़बर्दस्त बदलाव हुए हैं। देश की पहली महिला सेक्सोलॉजिस्ट ली यिनही ने बीबीसी से कहा, “मैंने 1989 के सर्वे में पाया था कि 15।50 फ़ीसदी लोग विवाह से पहले सेक्स संबंध बनाते थे। पर दो साल पहले के सर्वे में मैंने पाया कि ऐसे लोगों की तादाद बढ़कर 71 फ़ीसदी हो गई है।”

चीन में चल रही है ‘सेक्स क्रांति’, लड़के लड़की शुरु हो जाते हैं, कहीं भी कैसे भीली यिनही इसके लिए ‘क्रांति’ शब्द का इस्तेमाल करती हैं। वे कहती हैं कि 1997 के पहले तक विवाह पूर्व सेक्स संबंध को ‘गुंडागर्दी’ माना जाता था। इसके लिए क़ानूनी तौर पर सज़ा तक हो सकती थी। इसी तरह पोर्नोग्राफ़ी, वेश्यावृत्ति और ‘स्विंगर्स पार्टियां’ भी काफ़ी बढ़ी हैं।

चीन में प्रेम पर लिखना 1950 के बाद ही मुमकिन हो सका, पर सेक्स के बारे में कुछ लिखने पर 1980 तक रोक लगी हुई थी। ली की किताब ‘द सबकल्चर ऑ़फ़ होमोसेक्सुअलिटी’ 1998 में छपी। पर यह किताब वे लोग ही ख़रीद सकते थे, जिनके पास उनके नियोक्ता या वरिष्ठ अधिकारी की सिफ़ारिशी चिट्ठी थी। उनकी अगली किताब ‘द सबकल्चर ऑफ़ सेडोमेसोचिस्म’ तो इससे भी दो क़दम आगे थी।

चीन में चल रही है ‘सेक्स क्रांति’, लड़के लड़की शुरु हो जाते हैं, कहीं भी कैसे भी
ली ने कहा, “मुझे किताब की सभी प्रतियां जला देने को कहा गया। पर उस समय तक इसकी 60,000 प्रतियां बिक चुकी थीं। इसलिए किताबें जलाने का नोटिस प्रभावी नहीं हुआ।” चीन का कोई भी प्रकाशक बाइसेक्सुअलिटी पर उनकी किताब का अनुवाद छापने को तैयार नही हुआ। उन्हें हॉंन्ग कॉंन्ग में प्रकाशक ढूंढना पड़ा।

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ब्रुकिंग्स इंस्टीच्यूट में भाषण देते हुए ली ने कहा कि 1996 में एक बाथहाउस मालिक को वेश्यावृत्ति कराने के आरोप में मौत की सज़ा दी गई थी। आज के दिन इस तरह के अपराध के लिए अधिकतम सज़ा यह हो सकती है कि वह व्यवसाय बंद करा दिया जाए। इसी तरह 1980 तक पोर्न सामग्री छापने वाले को मौत की सज़ा दी जा सकती थी। पर अब इसमें नरमी कर दी गई है। ‘स्विंगर्स पार्टी’ अब भी ग़ैरक़ानूनी है, पर अब यह अधिक जगह आयोजित की जाती है।

वे कहती हैं, “कोई इसकी शिकायत ही नहीं करता, इसलिए इस ओर किसी का ध्यान भी नहीं जाता है।” ली अमरीका के पिट्सबर्ग में 1980 के दशक में समाज विज्ञान पढ़ती रहीं। वे जब चीन लौटीं तो पाया कि वहाँ अब भी माओ के समय का पुराना माहौल चल रहा है। कम्युनिस्ट शासन के दिनों में प्रेम पर लिखना बुर्जुआ काम समझा जाता था।

लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। कम्युनिस्ट पार्टी सेक्सुअलिटी को अब निजी बात मानने लगी है। ‘चीन में सेक्स’ किताब के सह-लेखक हायजिंग यू कहते हैं, “वे अपने आप को ऐसे लेखक के रूप में पेश करती हैं, जो सेक्सुअलिटी के अंतरराष्ट्रीय मानक पेश करता हो। इसलिए उनके सहकर्मी, पाठक और सरकार ने भी उन्हें छूट दे रखी है।” ली कहती हैं कि सेक्स के प्रति कम्युनिस्ट पार्टी के रवैए में बदलाव की वजह ‘एक बच्चे की नीति’ रही है। यह नीति वहां 1979 से 2015 तक लागू रही।

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वे कहती हैं, “इस नीति से लोगों को एक या अधिकतम दो बच्चे पैदा करने की छूट मिली। इससे बच्चा पैदा करने के बाद सेक्स का आपका मकसद बदल जाता है या आप सेक्स से अलग हो जाते हैं। अब मज़े के लिए सेक्स को उचित ठहराया जाने लगा।”

चाइना डेली में 2011 में शंघाई प्राइड मार्च पर छपी ख़बर से सब कुछ बदल गया। आधिकारिक मीडिया भी अब समलैंगिक समुदाय के बारे में लिखने लगा था। चीन के ऑनलाइन वीडियो प्लेटफ़ॉर्म ‘आइचीई’ पर किशोरों के समलैंगिक रिश्तों पर बना नाटक ‘एडिक्शन’ बहुत लोकप्रिय हुआ। बाद में इसे बग़ैर वजह बताए वहां से हटा दिया गया। लेकिन उसके पहले माइक्रोब्लोगिंग साइट वीबो पर इससे जुड़े लाखों पोस्ट हो चुके थे। ली ने चीनी संसद के सामने प्रस्ताव रखा है कि समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता दे दी जाए। वे कहती हैं, “बेहतर है कि समलैंगिकता को मंज़ूर कर लिया जाए।”

 
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