चीन ने ISRO की कामयाबी को लेकर कसे कुछ ऐसे तंज….

नई दिल्ली| इसरो की ओर से बुधवार को एकसाथ 104 सैटलाइट्स लॉन्च किए जाने की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। भारत के प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाले चीन ने भी इस कामयाबी की प्रशंसा करते हुए कहा है कि यह अन्य देशों को भी इस दिशा में सोचने पर मजबूर करने वाला है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि इसरो ने वर्ल्ड रेकॉर्ड कायम कर स्पेस टेक्नॉलजी में अपनी धमक जमाई है। भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय है।
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अखबार ने लिखा, ‘हालांकि स्पेस टेक्नॉलजी की रेस को सैटलाइट्स की लॉन्चिंग की संख्या से नहीं आंका जा सकता। यह कहना सही होगा कि इसकी उपलब्धि का महत्व सीमित है। इस बारे में भारतीय लोगों के मुकाबले वहां के वैज्ञानिक ज्यादा जानते हैं, जिसे भारतीय मीडिया की रिपोर्ट्स में खासा प्रोत्साहित किया गया है।’ अखबार के मुताबिक खासतौर पर कम निवेश के बावजूद स्पेस टेक्नॉलजी में ग्लोबल लेवल हासिल कर इसरो ने बड़ा काम किया है। अखबार के मुताबिक इसरो की यह उपलब्धियां अन्य देशों को भी सोचने को मजबूर करती हैं।
भारत ने 2008 में चंद्रयान भेजा था और 2013 में वह मंगल पर मानवरहित रॉकेट भेजने वाला पहला एशियाई देश बन गया। इसके बावजूद किसी देशी की स्पेस टेक्नॉलजी का विकास इस बात से मापना चाहिए कि उसमें निवेश कितना किया गया। 2016 में इकनॉमिक फोरम की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 2013 में अमेरिका का स्पेस बजट सबसे अधिक 39.3 बिलियन डॉलर था, चीन 6.1 अरब डॉलर के साथ दूसरे, रूस, 5.3 बिलियन डॉलर के साथ तीसरे और जापान 3.6 अरब डॉलर के स्पेस बजट के साथ चौथे स्थान पर था। इन सभी देशों के मुकाबले भारत का बजट महज 1.2 अरब डॉलर था।
चीनी अखबार ने लिखा है कि भारत की जीडीपी चीन के मुकाबले एक-चौथाई के करीब है, लेकिन जीडीपी के अनुपात में स्पेस टेक्नॉलजी में उसका निवेश चीन के बराबर ही है। चीन का कहना है कि इस बात पर कभी ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत अपनी जीडीपी का बड़ा हिस्सा स्पेस टेक्नॉलजी और रक्षा बजट पर खर्च करता है।