चीन को लग सकता है एक और बड़ा झटका, ये स्मार्टफोन कंपनियां भारत में करेंगी निवेश

लद्दाख सीमा पर हुए टकराव के बाद से भारत चीन को सबक सिखाने के लिए एक के बाद एक सख्‍त कदम उठा रहा है. अब केंद्र सरकार ने 7.3 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल फोन निर्यात  के लिए एप्‍पल (Apple) और सैमसंग (Samsung) को मंजूरी दे दी है. वहीं, भारतीय मोबाइल फोन मेकर्स माइक्रोमैक्‍स, लावा, कार्बन, ऑप्‍टीमस और डिक्‍सन जैसी कंपनियां भारत में किफायती फोन उतारने की तैयारी में हैं. केंद्र सरकार ने इन सभी कंपनियों को हरी झंडी दिखा दी है. इससे चीन की कंपनियों को तगड़ा झटका लगेगा और भारतीय बाजार में उनका दबदबा खत्‍म होगा.

पीएलआई स्‍कीम की वजह से चीन की कीमतों को टक्‍कर देने को तैयार कंपनियां
एप्‍पल और सैमसंग समेत सभी मोबाइल मेकर्स सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंवेस्‍टमेंट स्कीम (PLI Scheme) की वजह से भारत में मौजूद चीनी कंपनियों को कीमत के मामले में टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. आकड़ों के मुताबिक, करीब 22 कंपनियों ने 41,000 करोड़ रुपये के पीएलआई स्कीम के लिए आवेदन किया है. सरकार की मंजूरी के बाद अब ये कंपनियां भारत को मोबाइल फोन निर्यात कर सकेंगी या भारत में ही फोन बना सकेंगी. बता दें कि सीमा विवाद के बाद से भारतीय बाजार में चीनी कंपनियों की हिस्‍सेदारी लगातार घटती जा रही है. वहीं, अमेरिका, जापान समेत सभी गैर-चीनी कंपनियों का कारोबार बढ़ रहा है.

केंद्र सरकार की एम्‍पावर्ड कमेटी ने कंपनियों को दी निर्यात की मंजूरी

मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों के आवदेनों को मंजूरी देने वाली केंद्र सरकार की एम्‍पावर्ड कमेटी (Empowered Committee) में नीति आयोग (Niti Aayog) के सीईओ अमिताभ कांत के अलावा आर्थिक मामलों के सचिव, व्‍यय सचिव, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एंड इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी मिनिस्‍ट्री, डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्‍ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) और डायरेक्‍टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) के सचिव भी शामिल थे. हाल में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा था कि देश का मोबाइल फोन इकोसिस्‍टम पूरी तरह से विकसित हो चुका है. ये सिर्फ शुरुआत है. आने वाले समय में देश इस सेक्‍टर में नए कीर्तिमान बनाएगा.

भारतीय कंपनियां भी बायकॉट चीन का फायदा उठाने को हैं तैयार
चीन की मोबाइल निर्माता कंपनियों की जनवरी-मार्च 2020 के दौरान भारत में हिस्‍सेदारी 81 फीसदी थी, जो अप्रेल-जून तिमाही में घटकर 71 फीसदी पर आ गई है. इससे चीन की शीर्ष मोबाइल निर्माता कंपनियों के मार्केट शेयर में भी गिरावट दर्ज की गई है. बता दें कि एप्‍पल की फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन, विस्ट्रान और सैमसंग ने भारत सरकार की पीएलआई स्कीम के तहत आवेदन किया है. वहीं, भारतीय कंपनियों ने भी बायकॉट चीन का फायदा उठाने की तैयारी कर ली है. इसके तहत माइक्रोमैक्स, लावा, कार्बन जैसी कंपनियां त्योहारी सीजन में सस्ता फोन उतारने की योजना बना रही हैं.

एप्‍पल और सैमसंग अगले 5 साल में करेंगी 50-50 अरब डॉलर का निर्यात
एप्‍पल और सैमसंग अगले 5 साल में 50-50 अरब डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात की योजना बना रही हैं. एप्‍पल ने कुछ हफ्ते पहले ही भारत में iPhone 11 सीरीज और नए iPhone SE का ि‍निर्माण शुरू कर दिया है. भारत के स्मार्टफोन बाजार को देखते हुए अधिकतर कंपनियां पीएलआई स्कीम का फायदा उठाना चाह रही हैं. भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स भी इसके तहत 5000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही. एप्‍पल पहले ही फॉक्सकॉन के साथ मिलकर कोरोना काल में भारत में अपना उत्पादन शुरू कर चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 की पहली छमाही में एप्‍पल ने स्मार्टफोन बाजार पर कब्जा कर लिया है. इस दौरान टॉप-10 बिकने वाले फोन में 5 एप्‍पल के ही हैं. वहीं सैमसंग ने भी अपनी पकड़ काफी मजबूत कर ली है. कंपनी दूसरे नबंर पर है.

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