गणेश चतुर्थी पर 100 साल बाद ऐसा अद्भुत संयोग

शताब्दी यानि सौ साल में पहली बार ऐसा अवसर आया है जब विघ्नहर्ता गणेशजी और भगवान विश्वकर्मा एक साथ विराजेंगे। 17 सितंबर को गणेश चतुर्थी है और इसी दिन विश्वकर्मा पूजन भी है। सौ साल में पहली बार एक ही दिन गणेश, विश्वकर्मा और सूर्यदेव की आराधना होगी। सूर्य देव की आराधना इस दिन इसलिए की जाएगी क्योंकि इस दिन सूर्य कन्या राशि में संक्रमण करेगा। विश्वकर्मा जयंती उसी दिन मनाई जाती है, जब सूर्य कन्या राशि में संक्रमण करता है। यह तिथि हर महीने की 17 तारीख को पड़ती है। इस विशेष दिन कई शुभ संयोग बनेंगे। इसमें खरीदारी या किसी शुभ कार्य की शुरूआत करना फलदायी होगा। मशीनरी व्यवसाय से जुड़े कार्यों की शुरूआत के लिए यह दिन विश्वकर्मा पूजा की वजह से बेहद खास होगा।
पहली बार चतुर्थी में…
ज्योतिषाचार्य आरके वाजपेयी के अनुसार सौ साल के अन्दर जब भी अधिकमास सावन के दौरान पड़ा है, तब हरितालिका तीज और विश्वकर्मा पूजन एक ही दिन कई बार पड़े हैं, लेकिन सौ साल में ऐसा पहली बार हो रहा है जब चतुर्थी और विश्वकर्मा पूजन एक ही दिन है। विश्वकर्मा पूजन पर सूर्य 17 सितंबर को रात 3 बजकर 29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश करेगा। इसी दिन पूजन उत्सव मनाया जाएगा।
खरीदारी के लिए शुभ स्वाति नक्षत्र का संयोग
17 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। इस बार गणेश चतुर्थी पर विशेष संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन स्वाति नक्षत्र और गुरूवार है। यह लक्ष्मी कारक योग है। गुरूवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन प्रॉपर्टी और मशीनरी से जुड़ी खरीदारी शुभ होगी। गणेश का स्वामी बुध है। बुध और गुरू मित्र हैं। गणेश बुद्ध को बुद्धिदायक माना गया है। इस दिन गणेश जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।