
ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार से पूछा है कि स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए क्या इंतजाम किए हैं। शासन को जवाब पेश करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। साथ ही आदेश दिया है कि हर जिला अस्पताल में जांच की व्यवस्था की जाए। स्पेशल वार्ड के साथ-साथ उनमें पर्याप्त पलंग भी होने चाहिए। जीवाजी विश्वद्यिालय के पूर्व कुलसचिव डीएस चंदेल ने स्वाइन फ्लू को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजू शर्मा ने बताया कि पिछले साल स्वाइन फ्लू से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे, जिससे प्रदेश में 215 लोगों की मौत हुई थी। ग्वालियर-चंबल संभाग में स्वाइन फ्लू की जांच के लिए लेबोरेट्री नहीं है। डीआरडीई से स्वाइन फ्लू की जांच कराई जाती है। वहां से रिपोर्ट मिलने में 48 घंटे लगते हैं, जबकि रिपोर्ट 2 घंटे में मिल जानी चाहिए।
जांच रिपोर्ट में होने वाली देरी की वजह से मरीज की हालत बिगड़ जाती है। श्री चंदेल की बहू विंध्यवासिनी की रिपोर्ट भी देरी से मिली थी। इसके अलावा डीआरडीई से गलत रिपोर्ट दी गई, जिससे उनकी बहू की हालत बिगड़ गई थी। जब दिल्ली में इलाज कराया गया तो यह काफी महंगा पड़ा था। इलाज के दौरान ही विंध्यवासिनी की मौत हो गई थी। स्वाइन फ्लू फिर से फैलने लगा है, लेकिन शासन ने अस्पतालों में इससे निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं की है।
हाईकोर्ट ने ये दिए आदेश
– स्वाइन फ्लू को रोकने के लिए मनुष्य व सूअरों का टीकाकरण किया जाए।
– जांच के लिए लैब बनाई जाए और स्पेशल वार्ड में पर्याप्त पलंगों की व्यवस्था की जाए।
– थूक व खून की जांच के लिए प्रत्येक अस्पताल में लैब बनाई जाए।
– अस्पताल में स्वाइन फ्लू की पर्याप्त दवाइयां रखी जाएं।
याचिका में कीं ये मांगें
– जिला अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की जांच के लिए लेबोरेट्री बनाई जाए।
– अस्पतालों मे पर्याप्त दवाएं उपलब्ध कराई जाएं।
– स्पेशल वार्ड में पलंगों की अतिरिक्त व्यवस्था की जाए।
-सूअरों का टीकाकरण किया जाए।
– अगर स्वाइन फ्लू से किसी व्यक्ति की हालत बिगड़ती है और उसे बाहर रेफर किया जाता है तो उसके इलाज का खर्च सरकार को उठाना चाहिए। क्योंकि यह काफी महंगा पड़ता है।