केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खबर, रिटायरमेंट के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति के नियम में होने वाला है परिवर्तन
वित्त मंत्रालय अब उन सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रेगुलेट करने के नॉर्म्स पर काम कर रहा है, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है. इसमें नॉमिनेशन आधारित नियुक्तियों को ‘न्यूनतम’ रखने का प्रस्ताव है. 13 अगस्त को जारी एक मेमोरेंडम में मंत्रालय के व्यय विभाग (Department of Expenditure) ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों, जिसमें कंसल्टेंट्स भी शामिल हैं के लिए कोई यूनिफॉर्म गाइडलाइंस नहीं ताकि इन मामलों में सैलरी पेमेंट को रगुलेट किया जा सके.
एकरुपता लाने के लिए रेगुलेशन जरूरी
केंद्रीय कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर रखने संबंधित रेगुलेशन को लेकर व्यय विभाग ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है और अन्य मंत्रालयों व विभागों से इस बारे में 10 दिन के अंदर सुझाव मांगा है. विभाग ने कहा, ‘यह महसूस हो रहा है कि रिटायर हो चुके केंद्रीय कर्मचारियों को अगर कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाता है तो उनके सैलरी पेमेंट में एकरुपता लाने के लिए इसे रेगुलेट किया जाए.’
जरूरी हो तभी करें कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति
ड्राफ्ट गाइडलाइंस से पता चलता है कि जो राज्य इन कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट के लिए पिछले सर्विस के मद्देनजर नॉमिनेशन के आधार पर नियुक्त करता है, उन्हें इसे एक प्रैक्टिस के तौर पर नहीं लेना चाहिए. इसमें कंसल्टेंट्स भी शामिल हैं. जहां तक संभव हो, इस तरह की नियुक्तियों को न्यूनतम स्तर पर रखना है. गाइडलाइंस में लिखा गया, ‘इस तरह की नियुक्तियों को आधिकारिक काम के लिए न्यायसंगत मजबूरियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए. यह देखना जरूरी है कि ये नियुक्तियां जनहित में हो.’
सैलरी पेंमेंट को लेकर इस ड्राफ्ट के गाइडलाइंस में कहा गया कि प्रति माह एक तय सैलरी दी जानी चाहिए. इसमें रिटायरमेंट के समय पर प्राप्त बेसिक पेंशन की रकम को घटाकर ही तय किया जाना चाहिए. इसे ही ‘सैलरी’ कहा जाएगा.
इसमें आगे कहा गया कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि तक के लिए तय सैलरी में कोई बदलाव नहीं होगा. हाउस रेंट अलाएंसे यानी एचआरए का भुगतान किया जाएगा. हालांकि, कैबिनेट के अप्वाइंटमेंट कमिटी द्वारा अगर स्पेशन कंपेनसेशन दिया जाता है तो एचआरए नहीं शामिल किया जाएगा.
शुरुआती दौर में इस तरह की नियुक्तियों की अवधि एक साल के लिए होगी. इसे 2 या उससे अधिक सालों के लिए बढ़ाया जा सकता है. किसी भी सूरत में यह 5 साल से अधिक नहीं होना चाहिए. इसमें आगे कहा गया कि अगर किसी रिटायर्ड केंद्रीय कर्मचारी की नियुक्ति ओपेन मार्केट से होती है तो इसके लिए भुगतान कॉन्ट्रैक्ट के नियम व शर्तों के आधार पर होना चाहिए.