किसी प्रोटेस्‍ट में नहीं हुए शामिल, फिर भी इन मुस्लिमों से भरवाए जा रहे 50 हजार रु के बॉन्‍ड

लखनऊ। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई उनके खिलाफ भी जारी है, जिनका न तो कोई आपराधिक रिकॉर्ड है और न ही किसी विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहे हैं। पुलिस की ये कार्रवाई मुस्लिमों के खिलाफ की जा रही है। उनसे 50,000 रुपये के बॉन्ड भरवाए जा रहे हैं। यही बॉन्ड भरने वाले लोगों को 15 दिन में कोर्ट में हाजिरी भी लागानी होगी।

समाचार वेबसाइट जनसत्‍ता डॉट कॉम की एक खबर के मुताबिक, मामला राजधानी लखनऊ से करीब 30 किलो मीटर की दूरी पर स्थित तीन गावों का है। यहां के निवासियों का कहना है कि पुलिस उन्हें बेवजह परेशान कर रही है। गांव के लोगों ने कभी किसी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया। विरोध-प्रदर्शन अथवा किसी घटना के विरूद्ध कोई मार्च आयोजित होता है तो आक्रोशित जन सामान्य को नियंत्रित करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 107/116 का इस्तेमाल किया जाता है। पुलिस इसी धारा के उल्लंघन के तहत लोगों पर ये कार्रवाई कर रही है।

स्‍क्रॉल डॉट इन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कमलाबाद बदहौली गांव के एक निवासी ने नाम न बताने की शर्त पर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। शख्स ने बताया कि हमारे साथ अपराधियों की तरह व्यव्हार किया जा रहा है। हमारे खिलाफ ऐसी कार्रवाई क्यों की जा रही है हमें नहीं मालूम। कृप्या करके कोई हमें इस बारे में बताए।

हालांकि अभी तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि राज्य के ग्रामीण मुस्लिम आबादी के खिलाफ इस धारा का कितने लोगों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया है। हालांकि पुलिस ने जिन लोगों के खिलाफ ये कार्रवाई की है उनमें मजदूर, सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले शिक्षित युवा, और किराने की दुकान वाले कुछ लोग शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 दिसंबर के दिन सीएए के खिलाफ लखनऊ में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था और पुलिस प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठी डंडे चला रही थी तो तब भी गांव में शांति थी। गांववालों ने विरोध प्रदर्शन नहीं किया और वे शांति से अपने-अपने घरों में थे।

हालांकि अपने ऊपर हो रही ही इस बेवजह की कार्रवाई पर गांववासी अब एकजुट हैं। उनका कहना है कि उनसे जबरन बॉन्ड भरवाए जा रहे हैं जबकि उनका हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा किसी भी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।

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