रिपोर्ट्स में हुए कई खुलासे, ऐसी दावा खाकर कमलेश तिवारी की हत्या करने आये थे हत्यारे

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी के शरीर पर चाकू के कई निशाने मिले हैं, इसके अलावा भी फोरेंसिक रिपोर्ट में कई बातें सामने आई हैं.

एसटीएफ ने जिन तीन लोगों को सूरत से पकड़ा है, उनसे बातचीत के बाद शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि अशफाक अकेले इस काम को अंजाम देने में घबरा रहा था, उसके हाथ-पांव फूल रहे थे ऐसे में दूसरे हमलावर मोइनुद्दीन पठान को गला काटने की जिम्मेदारी मिली थी.

इन दोनों ने कमलेश के घर जाने से पहले होटल में घबराहट मिटाने के लिए दवा ली थी, साथ ही साथ ताकत की दवा भी खाई थी. जिसका सुबूत इनके कमरे में मिला है. लखनऊ के खालसा-इन होटल जिसमें यह दोनों हमलावर ठहरे थे, वहां से बरामद सामान में गला काटने में इस्तेमाल किया गया चाकू, जिसपर खून के दाग थे और कुछ दवाइयां भी मिली हैं.

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हत्या करने वाले के हाथ में भी लगा था चाकू

कमलेश तिवारी हत्याकांड में आरोपियों के पास पुलिस अभी तक नहीं पहुंच पाई है, लेकिन एक बात सामने आ रही है कि कमलेश तिवारी की हत्या करने के दौरान जिस चाकू से गला रेता गया था, उस दौरान हत्या करने वाले में से एक युवक पठान मोइनउद्दीन अहमद के हाथ में भी घाव हो गया था.

जिसकी वजह से जब वह होटल के कमरे में पहुंचा था, तब उसका एक हाथ कुर्ते के अंदर था जिसमें घाव था जिससे लगातार खून निकल रहा था. इसी हत्यारे को CCTV में होटल खालसा में घुसते हुए भी देखा गया था.

होटल के मैनेजर ने भी इस बात को माना है कि हत्या को अंजाम देने के बाद होटल में घुसते वक्त मोइनउद्दीन के हाथ जेब में थे और वह उसे छुपा रहा था.

दोस्त के साथ अस्पताल में कराया इलाज

STF के सूत्रों ने माना है कि इन्होंने बरेली में संपर्क किया था. हालांकि पुख्ता तौर पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन जांच अधिकारी इस बात से इंकार नहीं कर रहे हैं कि हत्या के बाद बरेली में दोस्त के साथ हॉस्पिटल जाकर इलाज भी करवाया था.

एसटीएफ को लखनऊ से भागने के क्रम में शाहजहांपुर के एक होटल में जाने के फुटप्रिंट्स मिले हैं. शाहजहांपुर के होटल पैराडाइज में यह दोनों एक इनोवा गाड़ी से उतरते हुए देखे गए जिसकी CCTV फुटेज STF के पास है.

माना जा रहा है शाहजहांपुर के बाद दोनों लोग बरेली पहुंचे जहां इन्होंने इलाज करवाया है. बरेली में ये दोनों अपने दोस्त के यहां पहुचे जहां लगभग 4 घंटे रुककर दोस्त के साथ किसी अस्पताल में हाथ के घाव का ट्रीटमेंट करवाया है हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हो सकी है.

कानपुर से लिया था सिम

सूरत से लखनऊ आते वक्त ट्रेन में विजय नाम के एक शख्स से इन दोनों की दोस्ती हुई, यह दोस्ती यह कहकर हुई कि इनका फोन रास्ते में गुम हो गया है. और उनका परिवार से संपर्क नहीं हो रहा है, इसी के बाद विजय ने कानपुर के एक दुकान से जियो सिम की व्यवस्था कराई जिसमें अशफाक ने अपने ओरिजिनल आई-कार्ड से मोबाइल का सिम खरीदा था.

एसटीएफ की सूत्रों की मानें तो इन लोगों ने अपने फुटप्रिंट्स जानबूझकर छोड़े हैं. इन्होंने अपने ओरिजिनल आईडी पर सिम लिए, ओरिजिनल आईडी पर होटल में कमरे बुक किए, कहीं भी सीसीटीवी से मुंह छुपाने की कोशिश नहीं की और हर जगह अपने फुटप्रिंट्स छोड़ते गए.

दरअसल इनका मकसद न सिर्फ कमलेश की बेरहमी से हत्या करना था बल्कि यह भी जताना था कि हत्या उन्होंने ही की है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से दोनों आरोपियों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का इनाम रखा गया है.

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