
देवास। डॉक्टर और गार्ड ने हमें धक्के मारके वहां से भगा दिया। हम अपनी बेटी के शव का पीएम करवाना चाहते थे। जब एमवायएच के डॉक्टरों से पीएम की बात कही तो उन्होंने साफ कह दिया कि अपनी बेटी की डेड बॉडी ले जाओ यहां नहीं होगा पीएम। यदि समय पर लिफ्ट चालू हो जाती तो हमारी बेटी की जिंदगी बच सकती थी। अस्पताल की लापरवाही के कारण ही हमारी बेटी ने हमारी आंखों के सामने ही घुटन के चलते दम तोड़ दिया।
यह आरोप है देवास के रसूलपुर निवासी सादिक अली उर्प बुंदू का। जिनकी बेटी शानू उर्फ शाहिदा (30) की शनिवार को एमवायएच इंदौर में लिफ्ट में फंस जाने के कारण मौत हो गई थी। मामले में सादिक अली का कहना है कि एमवाय अस्पताल की लापरवाही और डॉक्टरों के दुर्व्यवहार की शिकायत सीएम हेल्प लाइन में करेंगे साथ ही 28सितंबर को तीसरे की रस्म के बाद इंदौर में संबंधित थाने में एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी।
न कोई सुनने वाला और न देखने वाला
सादिक अली ने नईदुनिया को बताया कि एमवाय अस्पताल में न कोई सुनने वाला है और न ही देखने वाला है। शनिवार को बेटी का पेट दुख रहा था और सूजन आ गई थी। इंदौर का ही इलाज चल रहा था। इसलिए एमवाय में लेकर गए थे। दोपहर करीब 12.30 बजे वहां पर पहुंच गए थे। अस्पताल का पर्चा भी बनवा लिया था। यहां पर एक मेडम ने कहा कि डॉक्टर 2.30 बजे से पहले नहीं आएंगे इंतजार करना पड़ेगा। इसके बाद जैसे-तैसे ढाई बजे तक रुके। इसके बाद डॉक्टर आए, उन्होंने एक पर्चा बनाकर दिया। कहा कि सोनोग्राफी और एक्सरे करवा लो। एक वार्ड बॉय हमको नीचे तलघर में छोड़कर चला गया। यहां पर 2.45 बजे एक्सरे हुआ।
यहां भी बताया कि सोनोग्राफी वाला डॉक्टर 3.30 बजे आएगा। जब डॉक्टर आया तो उसको कहा कि पहले हमारी बेटी को देख लो उसकी तबीयत बिगड़ रही है तो उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया। अन्य मरीजों को ही देखते रहे। बाद में सोनोग्राफी भी आधी ही हो पाई और कह दिया कि तबीयत बिगड़ रही है इमरजेंसी में पांचवें माले पर ले जाओ।
पौन घंटे तक फंसे रहे लिफ्ट में
पिता साहिदक अली का कहना है कि कुछ समय में ही हम लिफ्ट में से पांचवें माले पर ले जा रहे थे कि लिफ्ट थोड़ी सी उठी और फंस गई। इसके बाद हम सब घबरा गए। काफी देर तक चिल्लाते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। इसके बाद लिफ्ट का दरवाजा ठोकने लगे। बाहर से लोग बोलते रहे कि चालू हो जाएगी। ऐसा दिलासा देते हुए काफी समय हो गया।
लिफ्ट में शाहिदा के अलावा बेटा रमजान, बुआ रशीदा बी, पति इमरान खान, सास कनीज बी और मैं खुद भी था। घुटन बढ़ती जा रही थी। साथ ही बेटी की तबीयत भी लगातार बिगड़ रही थी। एक डॉक्टर भी था, लेकिन वह कुछ नहीं कर पाया। 4.45 बजे लिफ्ट निकली। इस समय हम पहली मंजिल पर आए थे। हमारी बेटी ने हमारी आंखों के सामने ही दम तोड़ दिया।
दो बेटे हैं शाहिदा के
सिलावटी का काम करने वाले सादिक अली का कहना है कि उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। शाहिदा सबसे बड़ी थी। उसकी शादी 2005 में इंदौर मोतीतबेला निवासी इमरान खान से की थी। उसके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा युसूफ खान आठ साल और छोटा बेटा अलफेज खान 4 साल का है। आठ दिन पहले ही शाहिदा इंदौर से रसुलपूर अपने पिता के यहां आई थी।
आज कराएंगे एफआईआर
पिता सादिक अली ने बताया कि एमवाय अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के खिलाफ 28 सितंबर को इंदौर जाकर एफआईआर करवाएंगे। इंदौर की जनसुनवाई में भी शिकायत की जाएगी। साथ ही सीएम हेल्प लाइन में भी शिकायत करेंगे। सोमवार को तीसरे की रस्म करने के बाद इंदौर जाएंगे।