इतिहास के पन्नों को उठा कर देखें तो 12 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं
1982: पोलैंड के नेता लेक वालेसा रिहा किए गए
पोलैंड की कम्युनिस्ट सरकार ने प्रतिबंधित संगठन सौलीडेरिटी मूवमेंट के नेता लेक वालेसा को 11 महीनों तक जेल में रखने के बाद रिहा कर दिया.
उनकी रिहाई से दो दिन पहले लेक वालेसा के समर्थकों ने वर्साए और दूसरे शहरों में विशाल विरोध प्रदर्शन किए थे और उनको तितर बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे.
सरकारी प्रवक्ता जर्ज़ी अर्बन ने कहा कि लेक वालेसा को इसलिए रिहा किया जा रहा है क्योंकि सरकार की नज़र में अब वो क़ानून व्यवस्था के लिए ख़तरा नहीं हैं.
रिहाई के बाद अपने पहले भाषण में वालेसा ने कहा कि वो अपने यूनियन के पूराने सिद्घांतों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे.
जूलाई 1983 में सरकार ने मार्शल लॉ को उठा लिया. उसी साल अक्तूबर में लेक वालेसा को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया.
बढ़ती मंहगाई और ख़राब आर्थिक स्थिति के कारण जनरल जारूज़ेल्सकी की सरकार का विरोध बढ़ता गया और आख़िरकार सरकार सौलीडेरिटी मूवमेंट के साथ समझौता करने पर मजबूर हो गई.
समझौते के तहत वहां संसदीय चुनाव हुए और ग़ैर-कम्युनिस्ट सरकार का गठन हुआ.
लेक वालेसा 1990 में पोलैंड के राष्ट्रपति चुने गए.
वर्ष 2000 के चुनावों में उनकी पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के कारण उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी.
1984: एक रूपए के ब्रितानी नोट ग़ायब, सिक्के चालू
लगभग 150 साल के बाद ब्रिटेन के एक पाउंड के नोट को ख़त्म करने का फ़ैसला किया गया और उनकी जगह एक रूपए का सिक्का चालू किया गया.
ब्रिटेन के तत्कालीन वित्त मंत्री नाइजेल लॉसन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि ‘कुईड’ के नाम से जाने वाले नोट को धीरे-धीरे ख़त्म किया जाएगा और उनकी जगह एक पाउंड का सिक्का लेगा जिसे उसी साल अप्रैल में शुरू किया गया था.
हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्ग्रेट थैचर ने नोट को बचाने की पूरी कोशिश की थी.
वित्त मंत्री ने कहा कि नोट के मुक़ाबले सिक्के ज़्यादा मंहगे हैं लेकिन वो नोट से 50 गुना ज़्यादा दिनों तक रहेंगे.
कुछ लोगों को छोड़ कर नए सिक्के को ज़्यादातर लोगों ने पसंद किया. ख़ासकर नेत्रहीनों ने इसे ख़ूब पसंद किया क्योंकि नोट के मुक़ाबले इसे पहचानना ज़्यादा आसान था.
1986 में ब्रिटेन की सरकार ने दो पाउंड का सिक्का चालू किया.
उस दौरान दुनियाभर में छोटे नोटों की जगह सिक्कों को चालू किया जा रहा था.
हालाकि अमरीका में 70 के दशक में एक डॉलर के नोट की जगह सिक्के चालू करने की कोशिश नाकाम रही थी.
ज़्यादातर अमरीकी एक डॉलर के रूपए को नहीं छोड़ना चाहते थे.
आख़िरकार अमरीकी सरकार ने वर्ष 2000 में एक डॉलर का सिक्का शुरू किया लेकिन एक डॉलर का नोट भी साथ-साथ इस्तेमाल किया जाता रहा.