अभी-अभी: मुखर्जी ने किया एलान राष्ट्रपति पद छोड़ते ही सार्वजनिक जीवन से संन्यास लूंगा

नई दिल्ली: इस वक्त सबसे बड़ी खबर भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लेकर आ रही है। उन्होंने अपनी किताब और संसद सदस्य रहते हुए कामों को लेकर अपने विचार साक्षा किए हैं।

यहां हम आपको उनके सीधे शब्दों में बता रहे हैं कि इंडिया टुडे कॉनक्लेव में क्या बोल रहे हैं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी-
प्रकाशित होने वाली है मेरी किताब 
संसद में और काम करना चाहता था
बतौर शिक्षक मैंने अपना केरियर शुरू किया
मैं जवाहर लाला नेहरू से काफी प्रभावित रहा
मैं संसद में दो साल और काम करना चाहता था
प्रवाधान के चलते नहीं कर पाया काम
कोलकाता में मेरी क्लास सबसे आखिर में होती थी
लंबा बोलने की वजह से मेरी क्लास आखिरी होती थी
लोकतंत्र के स्थापकों में से एक थे नेहरू
सरदार पटेल ने देश को एकजुट किया
देश का 43 फीसदी हिस्सा उस दौरान राजाओं के पास था
आज भारत में कई राज्यों का गठन हो चुका है
2014 में करीब 66 फीसदी लोगोंने मतदान किया
आजादी के बाद 30 साल तक भारती जीडीपी 3 फीसदी की दर से बढ़ी
भारत की विकास दर को हिंदू ग्रोथ रेट कहा जा सकता है
अबतक हमने जो भी हासिल किया अपने दम पर किया
1990 से 1949 तक भारत की जीडीपी 0 से 1 फीसदी रही
2004 से 2009 के बीच निवेश की दर 40 फीसदी थी
हम जनता का पेट भर पाने में सक्षम नहीं थे
बतौर मंत्री इंदिरा जी को कई मुसीबतों से जूझते हुए देखा
आज भारत सामान्य खाद्य का सबसे बड़ा उत्पादक
चार सालों तक भारत की विकास दर 8 फीसदी से ज्यादा थी
राष्ट्रपति पद छोड़ते ही सार्वजनिक जीवन से संन्यास लूंगा
बांग्लादेश के निर्माण में इंदिरा का बेहद बड़ा हाथ था
2008 की मंदी में यूरोपीयन जोन में हम मजबूती से टिके रहे
1971 में भी यही हुआ था
भारतीय लोकतंत्र में सत्ता का केन्द्र प्रधानमंत्री

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