
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सलबोनी प्रेस के कर्मचारियों ने ओवरटाइम करने से इनकार कर दिया।इस प्रेस में नए करंसी नोट्स छापे जा रहे हैं। प्रेस के स्टाफ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, जिससे यहां रोज छपने वाले नोटों की संख्या में 60 लाख की कमी आ सकती है।
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प्रेस के कर्मचारी सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए पिछले 15 दिनों से 12 घंटे की शिफ्ट में काम कर रहे थे। कुछ कर्मचारियों ने कमरदर्द, खराब नींद और शारीरिक एवं मानसिक तनाव की शिकायत शुरू कर दी है। सामान्य 9 घंटे की शिफ्ट की जगह, 12 घंटे की शिफ्ट करने की वजह से प्रेस में रोज करीब 4.6 करोड़ करंसी नोट्स छप रहे थे।
लेकिन बुधवार से तीन शिफ्ट होने के बाद से यह संख्या करीब 4 करोड़ तक गिर सकती है। हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (BRBNMPL) इंप्लाईज एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, ”14 दिसंबर को हमने प्रबंधन के साथ दो सप्ताह के लिए 12 घंटों की शिफ्ट में काम करने का समझौता किया था। वह समझौता 27 दिसंबर को समाप्त हो गया और हमने आगे उसका पालन करने से इनकार कर दिया है।”
शालबनी प्रेस रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के तहत आने वाली दो करंसी प्रिंंटिंग प्रेस में से एक है। वहां के एक कर्मचारी ने एचटी से कहा, ”यह सिर्फ लगातार लंबे समय तक काम करने की वजह से सेहत पर प्रभाव की वजह से ही हम सामान्य शिफ्ट करने को मजबूर हुए।”
एचटी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि शिफ्ट बदलने के दौरान मशीन खाली रहती है। ”जब दिन को शिफ्टों में तोड़ा जाता है तो मशीन शिफ्ट के बीच थोड़ा लंबे समय तक खाली रहती है, इस वजह से उत्पादन कम होता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए आरबीआई ने प्रेस प्रबंधन को शिफ्ट घटाने को कहा है।” बुधवार से प्रेस में नौ घंटे की दो और 6 घंटे की एक शिफ्ट शुरू की गई है।
नोटबंदी के चलते हुए कैश की किल्लत से निपटने के लिए छपाईखाने चौबीसों घंटे चल रहे हैं और स्टाफ को अतिरिक्त घंटों के लिए काम करने और अपनी छुट्टियां छोड़ने पर वित्तीय इंसेंटिव दिए जाने का वादा किया गया है।
लाइवइंडिया.लाइव से साभार