अब जेल के बंदी भी चुनेंगे सकेंगे अपना मनपसंद सांसद, मांगी बंदी मतदाताओं की सूची

उत्तराखंड की जेलों में कैद बंदी भी अपनी मनपसंद का सांसद चुनेंगे। इसके लिए चुनाव आयोग की ओर से कैदियों को भी मतदान करने का मौका दिया जा रहा है। राज्य भर की सभी जेलों के अधीक्षकों से हर जिले के निर्वाचन अधिकारी ने सूची मांगी है। मतदान के दिन जेलों के बंदी भी डाक मत पत्र से अपने गृह क्षेत्र के लोकसभा प्रत्याशी को वोट डाल सकेंगे।

लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग शत-प्रतिशत मतदान के लिए सर्विस वोटर, दिव्यांग वोटर और थर्ड जेंडर के साथ-साथ जेलों में सजा काट रहे बंदियों तक को मतदान में शामिल करने पर अधिक जोर दे रहा है। सर्विस मतदाताओं के लिए बैलेट पेपर पर वोट की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। लेकिन, जेलों के बंदी डाक मत पत्र के जरिए ही वोट डालेंगे।

उत्तराखंड में देहरादून, टिहरी गढ़वाल, हरिद्वार के अलावा ऊधम सिंह नगर की सितारगंज केंद्रीय कारागार व संपूर्णानंद शिविर जेल, नैनीताल जिले की नैनीताल व हल्द्वानी और अल्मोड़ा कारागार मुख्य जेल हैं। सप्ताह भर पहले इन मुख्य कारागारों समेत प्रदेश की सभी जेलों के अधीक्षकों से प्रत्येक जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से पत्र जारी किए गए हैं। इन पत्रों में जेल अधीक्षकों से निवारक निरोध के अधीन बंदियों की सूची मांगी है। इसके बाद सभी जेलों को डाक मत पत्र भेजे जाएंगे और डाक मत पत्र के जरिये बंदी भी अपने गृह क्षेत्र के मनपसंद सांसद को चुनेंगे। 
प्रदेश की जेलों में बंद मतदाता जो निर्वाचक निरोध के अधीन आते हों। ऐसे प्रत्येक मतदाता को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के नियम 62 के उप नियम-5 के अनुसार मताधिकार दिया जाएगा। इसके लिए जेल अधीक्षकों को पत्र जारी कर बंदियों की सूची मांगी है। सूची मिलने के बाद डाक मत पत्र भेजे जाएंगे ताकि बंदी भी मतदान कर सकें।

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