अखिलेश से झगड़े, टिकट बांटने और नोट बंदी पर जमकर बोले शिवपाल

रजत जंयती समारोह की कामयाबी से उत्साहित समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव अब गाजीपुर की महारैली की तैयारियों में जुटे हैं। कहते हैं, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हमारा कोई झगड़ा नहीं है, सब वक्त और ग्रहों का फेर है। यदि कुछ बातें हैं भी तो घर में बैठकर ठीक हो जाएंगी।  shivpal
– सीएम अखिलेश की रथयात्रा व रजत जयंती समारोह के बाद पार्टी र्की अगली रणनीति?
अब इलेक्शन में जाना है। इसकी तैयारियां चल रही हैं। गाजीपुर में 23 को रैली है। नेताजी के कार्यक्रम लगाए जाने हैं। अखिलेश यादव और प्रदेश के अन्य नेता भी जनता के बीच निकलेंगे। जल्द ही बातचीत करके कार्यक्रम तय किए जाएंगे।

  सिटिंग सीटों पर प्रत्याशियों के चयन और हारी सीटों पर उम्मीदवारों के बदलने का काम अटका हुआ है?

मौजूदा विधायकों की सीटों पर गंभीरता से विचार हो रहा है। हमने टिकट देने के लिए एक ही फॉर्मूला बनाया है, टिकाऊ और जिताऊ। इसके लिए फीडबैक लिया जा रहा है। जिला और संगठन की रिपोर्ट भी मिली है। कुछ और भी माध्यमों से जानकारियां जुटाई जा रही हैं। ये सभी राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने रखी जाएंगी।

– टिकट बांटने में मुख्यमंत्री भी अधिकार चाहते हैं, कैसे रास्ता निकालेंगे?
मुख्यमंत्री के सुझाव लिए जाएंगे, उन पर गौर किया जाएगा। यह ध्यान रखा जाएगा कि प्रत्याशी समाजवादी हो, वफादार भी हो। दूसरे दलों में भगदड़ मची, लेकिन वफादारी की वजह से सपा के विधायक टूटे नहीं हैं। जो गए हैं, उनके अपने कारण हैं।

 – आपने कहा है कि पार्टी के लिए हर कुर्बानी को तैयार हैं, क्या प्रदेश अध्यक्ष पद भी…?

मेरे लिए कुर्बानी का मतलब है त्याग, संघर्ष, नेताजी का इशारा और आदेश। मेरे संघर्ष के बारे में सबको पता है। इसके बाद कुछ नहीं बचता है। मैं 1972 से पार्टी में सक्रिय हूं। न जाने कितने आंदोलनों में जेल गया हूं। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे तो 6 माह अंडरग्राउंड रहा। एनएसए, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर के झूठे केस लगे। मायावती सरकार में भी झूठे केस लगे, 5-6 महीने भूमिगत रहा। मंत्री के रूप में भी हमारे काम की तुलना कर लीजिए। जितना काम हमने अपने विभागों में किया, उतना कई सरकारों में नहीं हुआ। हमने 605 पुल बनवाए, 36 साल बाद नई राजस्व संहिता लागू की। सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, सहकारिता विभाग में ऐतिहासिक कार्य हुए। पिछली सरकार में मेरे पास खनन विभाग था लेकिन एक अंगुली नहीं उठी।

– आपने कहा है कि गलत बातों के खिलाफ आवाज उठाने पर आप मंत्री पद से हटाए गए? 
अब छोड़िये इन बातों को…। हमने हमेशा कब्जा करने वालों का विरोध किया है, गलत काम करने वालों की जांच कराई है। हमें हटाने की बात छोड़िए।

– आपके अलावा आपके समर्थक तीन और मंत्री बर्खास्त किए गए…?

देखिये, ये सीएम का अधिकार है कि किससे क्या काम लेना है। हमें और हमारे साथियों को जो काम मिला, उसे ईमानदारी और वफादारी से निभाया। सरकार में रहें या पार्टी में, आगे भी जो काम मिलेगा, उसे करते रहेंगे।

– आपके और अखिलेश यादव के बीच तल्खी, मतभेदों की वजह क्या है?
हमारे बीच कोई तल्खी नहीं है। कभी-कभी गलतफहमी हो जाती है। जो बाते हैं, घर परिवार में बैठकर दूर करेंगे। हमारे बीच कुछ भी ऐसी बात नहीं जिसे विवाद या झगड़ा कहा जाए। ये सब समय की चाल और ग्रहों का फेर होता है। तात्कालिक तौर पर जो बातें थीं, वे खत्म हो गई हैं। पार्टी में अब उहापोह की स्थिति नहीं है। सभी से कहा गया है कि गुटबंदी खत्म करें, अब बस एक ही लक्ष्य है, 2017 में सपा की सरकार बने।

– क्या सपा से बर्खास्त किए गए युवा नेताओं की पार्टी में वापसी होगी ?
हमने पहले कहा है कि पार्टी में अनुशासन जरूरी है। पार्टी और नेतृत्व के खिलाफ बोलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर की गई। नेताजी ने जो कहा, हमने किया। उसमें किन्तु-परन्तु का सवाल ही नहीं है। यदि बर्खास्त नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रार्थना पत्र देंगे तो उस पर निश्चित सुनवाई होगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष जो भी फैसला करेंगे, हम स्वीकार करेंगे।

– मुलायम सिंह ने किसी भी दल से गठबंधन से इन्कार किया है। यह आपकी कोशिशों को झटका नहीं है?

हमारी कोशिश है कि लोहिया, चौधरी चरण सिंह और महात्मा गांधी के उपेक्षित अनुयायी एक साथ आएं ताकि सांप्रदायिक ताकतों के मंसूबों को नाकाम किया जा सके। जहां तक गठबंधन का सवाल है, इस पर नेताजी (मुलायम सिंह) और दूसरे दलों के राष्ट्रीय नेता फैसला लेंगे। इस पर मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा।

– बड़े नोट बंद करने के फैसले के विरोध का आधार क्या है?
समाजवादी हमेशा काले धन के खिलाफ रही हैं, लेकिन जिस तरह नई मुद्रा उपलब्ध कराए बिना पांच सौ, हजार के नोट बंद कर दिए उससे पूरा देश सदमे में है। हर तरफ अराजकता का माहौल है, व्यापार बंद है। 

किसानों, गरीबों, व्यापारियों के लिए पहले से व्यवस्था करनी चाहिए थी। गेहूं की बुवाई का समय है, लेकिन किसानों को न खाद मिल पा रहा है न ही बीज। शादियों वाले परिवारों को बड़ी दिक्कत उठानी पड़ रही है। बीमारी का इलाज नहीं हो रहा। भाजपा नेताओं के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले ही व्यवस्था करा दी थी। परेशानी की घड़ी में सपा जनता के साथ है।

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