अखिलेश बेखबर… चाचा शिवपाल ने बाँट दिए टिकट!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के कुनबे में फिर कलह उभर आई है। वजह है शिवपाल द्वारा टिकट का बंटवारा, इनमें अमनमणि और मुकेश श्रीवास्तव सरीखे कुछ दागी भी हैं।

अखिलेश बेखबर

अमनमणि पत्नी की हत्या के आरोपों में सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं। कुछ ऐसे लोगों के टिकट काट दिए गए हैं, जो महासचिव प्रो. रामगोपाल और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीब माने जाते हैं। इसको लेकर माना जा रहा है कि अखिलेश खासे नाखुश हैं। टिकट बंटवारे के सवाल पर स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें कुछ नहीं मालूम।

सोमवार को मुख्यमंत्री के नए कार्यालय “लोकभवन” का उद्घाटन और कैबिनेट की बैठक थी। इसके ठीक पहले ही शिवपाल ने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। मुलायम व अखिलेश यादव के अलावा शिवपाल भी लोकार्पण समारोह में गए। लेकिन शिवपाल के चेहरे पर तनाव बना हुआ था। मुख्यमंत्री ने भी जिस तरह के बयान दिए उससे साफ है कि वे इस फैसले से खुश नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने खुद को शतरंज का खिलाड़ी बताकर अपने समर्थकों का हौसला बुलंद रखने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि तुरुप के पत्ते का इंतजार करिए। अखिलेश संकेतों के जरिये जाहिर कर रहे थे कि भविष्य में वह कोई बड़ा दांव चलने वाले हैं।

दागियों पर दांव

राजधानी की सड़कों पर सरेशाम गुंडई और फिर अपनी ही पत्नी की हत्या के आरोपों में सीबीआई जांच से घिरे अमनमणि त्रिपाठी हों या फिर एनआरएचएम घोटाले के आरोपों में सीबीआई जांच का सामना कर रहे कांग्रेस से आए विधायक मुकेश श्रीवास्तव को शिवपाल ने उम्मीदवार बनाकर साफ कर दिया कि उन्हें हर कीमत पर जीत चाहिए और इसके लिए वह किसी भी तरह के व्यक्ति पर दांव लगा सकते हैं। अमनमणि के पिता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी कवयित्री मधुमिता की हत्या के आरोप में उम्र कैद भुगत रहे हैं। फरारी के दिनों में भी अमनमणि विधानसभा से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों तक शिवपाल के करीब देखे जाते रहे।

अखिलेश के करीबी किनारे

अखिलेश की युवा बिग्रेड के सदस्यों को पार्टी से बाहर करने के बाद शिवपाल ने इस बिग्रेड के एक प्रमुख सदस्य अतुल प्रधान का सरधना और रामगोपाल के करीबी रफीक अंसारी का मेरठ से टिकट काट दिया। बाकी क्षेत्रों में भी ज्यादातर उम्मीदवार मुख्यमंत्री की पसंद के ही थे। मीरापुर में इलियास की जगह शाहनवाज राणा को मौका देकर शिवपाल ने अपनी पसंद भी जताने की कोशिश की है।

ब्राह्माणों को मौका

टिकट बदलने में जातीय समीकरण साधने की भी कोशिश की गई है। कई ब्राह्माण उम्मीदवार उतारे गए हैं। वाराणसी के शिवपुर में अरविन्द मौर्य की जगह अवधेश पाठक और कौशांबी के चायल में चंद्रबलि पटेल की जगह बालम द्विवेदी का नाम प्रमुख है। मुसलमानों का टिकट काटने में यह एहतियात जरूर बरती गई कि मुसलमान उम्मीदवार को ही मौका मिला।

कोई मतभेद नहीं

सोमवार दोपहर तक प्रो. राम गोपाल यादव भी लखनऊ पहुंचे। मुलायम सिंह के पांच विक्रमादित्य स्थित आवास पर पहुंचते ही शिवपाल यादव और राम गोपाल भी कुछ देर बाद पहुंचे। तीनों के बीच गुफ्तगू शुरू हुई। थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री भी वहीं पहुंच गए। बैठक के बाद प्रो. राम गोपाल ने मीडिया से कहा कि टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। टिकट बांटना संसदीय बोर्ड का काम है।

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