अंडे का फंडा: जानिए ऑमलेट से जुड़े दिलचस्प किस्से  

हम लोगों के लिए ऑमलेट जानी-पहचानी चीज है, जबकि यह विदेशी व्यंजन है। वहीं, ऑमलेट की दिलचस्प बात यह है, ये हर देश में एक अलग रूप ले लेता है। इतना अलग रूप कि हमें उन ऑमलेट को पहचाने में दिक्कत हो सकती है। अंडे का फंडा: जानिए ऑमलेट से जुड़े दिलचस्प किस्से  

हिन्दुस्तानियों के लिए ऑमलेट इतनी जानी-पहचानी चीज है, जबकि यह बाहर से आया हुआ विदेशी व्यंजन है। इससे भी दिलचस्प बात यह है, जो लोग भारत में अक्सर ऑमलेट खाते-पचाते हैं, उन्हें जब विदेश में कहीं खालिस फ्रांसीसी नमूने का, जो उसका मूलरूप है ऑमलेट परोसा जाता है, तो उन्हें पहचानने में दिक्कत होती है। फ्रांसीसी ऑमलेट बाहर से सुनहरा पक जाने के बाद भी भीतर से न केवल नरम रहता है, बल्कि उसमें अंडा पिघलकर मुंह में अपना स्वाद घोलता है। जाहिर है इस ऑमलेट में कटी मिर्च, टमाटर, अदरक, धनिया, प्याज अन्य मसाले नहीं होते। हां, कभी-कभार बीच में जंगली कुकुरमुत्ते या नायाब पनीर चखने को मिल जाते हैं।

ऑमलेट बनाने को विशेष कला समझा जाता है और परंपरा के अनुसार इसके लिए जो फ्राइंग पैन इस्तेमाल किया जाता है, उसे पहले तैयार किया जाता है। उसे धोया नहीं जाता, सिर्फ पोछा जाता है और इस बर्तन का प्रयोग सिर्फ ऑमलेट बनाने के लिए ही किया जाता है।

 

स्पेन में जो ऑमलेट बनाया जाता है, उसे पकाते वक्त मोड़कर धेहरा नहीं किया जाता, बल्कि खुले चिले की ही तरह दोनों तरफ सेंका जाता है। इसमें हाथ खोलकर आलू की कतली शिमला मिर्च और धूप में सूखे टमाटर डाले जाते हैं। यह अवतार फ्रांसीसि अवतार से बिल्कुल भिन्न होता है। चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में अंडे से ऑमलेटनुमा ही एक व्यंजन तैयार किया जाता है, जिसे ‘फूंगी’ कहते हैं और मॉरीसिस में जहां बड़ी संख्या में भारतवंशी और चीनी मूल के मिश्रित नस्ल वाले लोग रहते हैं, वहां ऑमलेट को पकाने के बाद उसके टुकड़े काटकर तरीदार शोरबे के रूप में भी पेश किया जाता है।

ऑमलेट का सुख यह है कि इसमें अंडा नजर नहीं आता और इसे ठंडा या गरम दोनों ही तरह से मजे में खाया जा सकता है। डबल रोटी के दो स्लाइसों के बीच आप इसका सैंडविच बना सकते हैं और सिके बन के साथ मक्खन में तर-बतर कर इसका मजा दोगुना कर सकते हैं। ऑमलेट की जुगलबंदी स्कूली टिफिन बाक्स या दफ्तर के लंच बाक्स में पराठे या रोटी के साथ भी बहुत मजेदार लगती है। 

 
अंग्रेजी का मुहावरा है कि बिना अंडे को तोड़े आप ऑमलेट नहीं बना सकते अर्थात मनचाहा कुछ खाना है या पाना है, तो कुछ तो कीमत चुकानी ही पड़ेगी। हम हिन्दुस्तानियों का मानना है कि ऑमलेट का मजा तभी है, जब उसे तबियत से फेंटा गया हो और वह फूलकर कुप्पा हो जाए। कुछ लोग इस काम को साधने के लिए बड़े जतन से अंडे की सफेदी अलग निकालकर फेंटते हैं और जर्दी अलग। बाद में दोनों को मिलाते हैं। मगर हकीकत यह है कि बहुत देर तक अंडा फेंटने से बात नहीं बनती।

फ्राइंगपैन में अंडे का घोल उड़ेलने के पहले ही कुछ देर ठीक से फेंटने की जरूरत है, ताकि हवा मिश्रण में रच-बस जाए। ज्यादा फेंटने से पुरानी हवा बाहर निकल जाती है। ढाबे या रेहड़ी पर ऑमलेट बनाने वाले कांटे की जगह एक स्प्रिंगदार उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, जो प्याले या गिलास में एक या दो अंडे को बखूबी फेंट सकता है। ऑमलेट की एक और अच्छी बात यह है कि इसे ज्यादातर आपकी आंख के सामने तोड़कर बनाया जाता है और इसी कारण इसमें मिलावट या प्रदूषण की संभावना बहुत कम रह जाती है। इसलिए स्कूल की कैन्टीन हो या रेलवे प्लेटफार्म, लोग भूख लगने पर बेहिचक ऑमलेट का आडर दे देते हैं। 

 
बड़े-बड़े पांच सितारा होटलों में ऑमलेट को खासे ताम-झाम के साथ परोसा जाता है। इसके साथ तले आलू की कतलियां या उबले आलू का ब्राउन हैश, तो रखा ही जाता है, आधा कटा ताजा तला टमाटर, चिकन सॉसेज के एक या दो टुकड़े भी साथ निभाते हैं। टमाटर का साॅस और मस्टर्ड साॅस सामने रखे रहते हैं, पर ऑमलेट के असली शौकीन स्वादानुसार नमक और काली मिर्च छिड़ककर ही इसका आनंद उठाते हैं। ढाबे में कभी-कभार डबल रोटी के स्लाइस को पकाते वक्त ही ऑमलेट के ‘लिफाफे’ में बंदकर देते हैं। मगर तहजीब यह है कि ऑमलेट आप अलग से खाएंगे और टोस्ट अगल से। हमारी राय है कि आप हिन्दुस्तानी ऑमलेट का मजा जैसे लेना चाहें वैसे लें, दूसरों के बताए नुस्खे अपने ऊपर हावी न होने दें। 

-विदेश में कहीं खालिस फ्रांसीसी नमूने का,  जो उसका मूलरूप है ऑमलेट परोसा जाता है, तो पहचानने में दिक्कत होती है।
-पांच सितारा होटलों में ऑमलेट को खासे ताम-झाम के साथ परोसा जाता है। इसे उबले आलू क ेहैश  ब्राउन, आधा कटा तला टमाटर, चिकन साॅसेज के साथ भी परोसा जाता है।

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