संयुक्त राष्ट्र में मसूद के खिलाफ प्रस्ताव पेश, इन तीन देशों ने की प्रतिबंध की मांग

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर आतंकी मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है। ये प्रस्ताव अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने पेश किया है। बता दें आतंकी मसूद अजहर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना है। वह भारत में हुए पुलवामा आतंकी हमले के साथ-साथ अन्य कई हमलों का जिम्मेदार है।संयुक्त राष्ट्र में मसूद के खिलाफ प्रस्ताव पेश, इन तीन देशों ने की प्रतिबंध की मांग

ये प्रस्ताव बुधवार को पेश किया गया है। इससे पहले चीन ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए मसूद अजहर को बचा लिया था। प्रस्ताव में अजहर को ब्लैक लिस्ट में डालने की मांग की गई है।

राजनयिकों का कहना है कि ये देश चाहते हैं कि अजहर की संपत्ति जब्त हो और उसकी यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जाए। करीब दो हफ्ते पहले चीन ने वीटो लगाते हुए इसे टेक्निकल होल्ड पर डाल दिया था। चीन के इस कदम पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। इस मामले पर चीन ने कहा था कि मसूद आजहर पर प्रतिबंध से पहले जांच के लिए उसे समय चाहिए ताकि सभी पक्ष ज्यादा बातचीत कर सकें और एक अंतिम निर्णय पर पहुंचे जो सभी को स्वीकार्य हो।

ये अमेरिका द्वारा प्रस्तावित एक मसौदा प्रस्ताव है। जिसे ब्रिटेन और फ्रांस का पूरा समर्थन है।

14 फरवरी को जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ पर आत्मघाती हमला हुआ था। जिसकी जिम्मेदारी मसूद अजहर ने ली है। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच भी तनाव काफी बढ़ गया।

बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव में आत्मघाती हमले की निंदा की गई है। और ये फैसला लिया गया है कि अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की ब्लैक लिस्ट में डाला जाएगा। इस लिस्ट में अलकायदा और इस्लामिक स्टेट का नाम पहले से शामिल है। इस प्रस्ताव में अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग की गई है।

हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि इस ड्राफ्ट प्रस्ताव पर भी वोटिंग होगी या नहीं। अगर होगी तो इसे चीन के वीटो का सामना करना पड़ा सकता है। जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल है।

अभी तक अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए चार बार प्रयास किया जा चुका है। चीन ने पहले तीन प्रस्तावों पर रोक लगा दी थी और चौथे प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी है। जो करीब नौ महीने तक रहेगी। संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची में जैश-ए-मोहम्मद को पहले ही 2001 में शामिल किया जा चुका है।

इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि अजहर आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने और अंजाम देने के लिए योजना बनाता है। फंडिंग करता है। इसलिए उसपर प्रतिबंध लगाया जाए।

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक इस ड्राफ्ट प्रस्ताव में कहा गया है, “जेश-ए-मोहम्मद का अजहर आतंक के वित्तपोषण, योजना, तैयारी और हथियारों की आपूर्ति, बिक्री या हस्तांतरण एवं जैश की गतिविधियों में साथ के लिए इस्लामिक स्टेट और अलकायदा से जुड़ा हुआ है।”

दूसरी तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों का उत्पीड़न करता है लेकिन हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है।

उनका इशारा चीन के उस कदम की ओर था जब उसने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना हाफिज सईद को “वैश्विक आतंकवादी” घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में अडंगा डाल दिया था।

पोम्पिओ ने बुधवार को मसूद अजहर का नाम लिये बिना ट्वीट किया, “दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक ओर चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों पर अत्याचार करता है, वहीं दूसरी ओर वह हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है।’’

पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि चीन अप्रैल 2017 से शिनजियांग प्रांत में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाखों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में ले चुका है।

उन्होंने कहा, “अमेरिका उनके और उनके परिवारों के साथ खड़ा है। चीन को हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करना चाहिए और उनके दमन को रोकना चाहिए। पोम्पिओ ने बुधवार को शिनजियांग में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ चीन के “दमन और हिरासत अभियान” से बचने वालों और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, “मैं चीन से इन नीतियों को समाप्त करने और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को छोड़ने की अपील करता हूं।”

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