रक्षा मंत्रालय ने CAG को क्यों नहीं दी राफेल डील से जुड़ी कोई जानकारी ?

 आठ महीने बाद भी अधर में ऑडिट रिपोर्ट
जुबिली न्यूज डेस्क
रक्षा मंत्रालय ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखी परीक्षक (सीएजी) को राफेल डील से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी है। यह खुलासा सीएजी द्वारा डिफेंस पर केंद्र सरकार को अपनी परफॉर्मेंन्स ऑडिट रिपोर्ट सौंपने के आठ महीने बाद हुआ है।
सीएजी ने जो रिपोर्ट सौंपा था उसमें फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन से राफेल विमानों की ऑफसेट डील का कोई उल्लेख नहीं है। यह रिपोर्ट अभी संसद में पेश होना बाकी है।
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने राफेल डील से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी नियंत्रक एवं महालेखी परीक्षक को देने से मना कर दिया है। ऑडिट में शामिल अधिकारियों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने सीएजी को बताया है कि राफेल की फ्रांसीसी निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने कहा है कि वह अनुबंध के तीन साल बाद ही अपने ऑफसेट भागीदारों के किसी भी विवरण को साझा करेगा।
भारत को पिछले महीने पांच लड़ाकू विमानों का पहली खेप मिली थी। भारत और फ्रांस के बीच 36 जेट लड़ाकू राफेल विमान के लिए 59,000 करोड़ रुपये सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे।
वर्ष 2016 में हुए सौदे के अनुसार डसॉल्ट एविएशन ने डील की तारीख से 36 से 67 महीने के अंदर सभी लड़ाकू विमान सप्लाय करने का वादा किया है।
पिछले साल दिसंबर में सरकार को सौंपी गई परफॉर्मेन्स ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीएजी ने केवल 12 रक्षा खरीद अनुबंधों की समीक्षा की है।
 
 
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक सीएजी सूत्रों ने बताया, “हमें रक्षा मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि राफेल के फ्रांसीसी निर्माता ने ऑफसेट सौदों पर अब तक कोई विवरण साझा नहीं किया है।” सूत्रों के मुताबिक सीएजी ने साल 2012-13 से लेकर 2017-18 के बीच राफेल डील समेत एयरफोर्स, नेवी और आर्मी से जुड़े 32 ऑफसेट डील की समीक्षा करने का फैसला 2019 के अंत में किया था लेकिन बाद में लिस्ट छोटी कर उसे 12 कर दिया गया।
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मालूम हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल कांग्रेस ने राफेल को अहम मुद्दा बनाया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी जनसभाओं में ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगवाया था। कांग्रेस ने इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की थी साथ ही ये आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गुजराती कारोबारी मित्र को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रख कर ये डील करवाई है।
बता दें कि फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन और भारतीय रक्षा कंपनी अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेन्स के बीच राफेल को लेकर समझौते हुए हैं।

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