नवरात्र में खास वाहन से आएंगी मां दुर्गा, बढ़ाएंगी नेताआें की टेंशन

navratri-1444031098शक्ति की उपासना के पर्व शारदीय नवरात्र का प्रारंभ  13 अक्टूबर 2015 को होगा। यह पर्व प्रतिपदा से नवमी तक नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। नौ दिनों तक देवी पार्वती, लक्ष्मी आैर सरस्वती के विभिन्न नौ स्वरूपों की उपासना होती हैं। इस बार नवरात्र को लेकर लोगों के मन में यह जिज्ञासा है कि मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आएंगी आैर किस वाहन से लौटेंगी, क्योंकि आने वाला वर्ष कैसा होगा, इसका अंदाज इसी से लगाया जाता है।

परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज बताते हैं कि रविवार एवं सोमवार को नवरात्रि प्रारंभ होती हैं तो मां दुर्गा हाथी पर, मंगलवार एवं शनिवार को घोड़े पर, गुरुवार एवं शुक्रवार को डोला पर एवं बुधवार को मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं। गज पर आना पानी की बढोतरी, घोड़े पर युद्ध की आशंका, नौका पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। डोली पर आक्रांत रोग, मृत्यु का भय बना रहता हैं। इस बार नवरात्र 13 अक्टूबर मंगलवार को प्रारंभ होंगे। मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। मां का आगमन शासक वर्ग के लिए शुभ नहीं है। देश की सीमा पर तनाव बना रहेगा। देश के किसी भी क्षेत्र में बड़े नेता की मृत्यु हो सकती है लेकिन आम लोगों के लिये आने वाला वर्ष अच्छा रहेगा। 
पंडित प्राण मोहन कुंवर ने बताया कि रविवार एवं सोमवार को विजयादशमी होती हैं तो मां दुर्गा भैंसे पर, शनिवार एवं मंगलवार को मुर्गे पर, बुधवार एवं शुक्रवार को गज पर एवं गुरुवार को नर वाहन पर सवार होकर जाती हैं। पंडित अजय कांत ठाकुर का कहना है कि विजयादशमी 22 अक्टूबर गुरुवार को है। मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ नर वाहन पर सवार होकर लौटेंगी। मां का प्रस्थान आमजन के लिए शुभ संकेत है।    
पंडित चन्द्रभूषण मिश्रा  ने बताया कि इस वर्ष मां दुर्गा के आगमन एवं प्रस्थान आमजन के लिए लाभप्रद हैं। मां लोगों के बीच सुख एवं समृद्धि लेकर आ रही हैं। मां दुर्गा का आगमन एवं प्रस्थान सप्ताह के दिन से जुड़े हैं। मां का प्रस्थान शुभ हो तो आने वाला वर्ष आमजन के लिए उत्तम होता है।

 

सर्वप्रथम भगवान श्री राम  ने नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट से किया था। उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया तथा विजय प्राप्त की। यह असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। – देवेन्द्र सिंह –

 

 

 

 

 

 

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