सृष्टि के कल्याण के लिए इस ऋषि ने की थी अपनी जान कुर्बान

dadhichi-1442827548दधीचि महान ऋषि थे। उन्होंने जगत के कल्याण के लिए अपना जीवन दे दिया था। पौराणिक कथाओं में उन्हें महान तपस्वी और आत्मबलिदानी कहा गया है। एक बार असुरों का आतंक पूरी सृष्टि में इतना बढ़ गया था कि उन्हाेंने देवराज इंद्र को स्वर्ग से निकाल दिया।

असुर वृत्र राक्षसों का मुखिया बनकर उन्हें सृष्टि में विनाश के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। आखिरकार देवराज इंद्र भगवान शिव के पास पहुंचे। शिवजी ने कहा कि इस समस्या का समाधान भगवान विष्णु के पास ही मौजूद है।

इंद्र भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे। विष्णुजी ने समस्या सुनने के बाद कहा कि असुरों का आतंक रोकने के लिए एक दिव्य अस्त्र की आवश्यकता होगी लेकिन इस अस्त्र के निर्माण के लिए एक महान तपस्वी की अस्थियों की जरूरत है।

उन्होंने धरती पर मौजूद ऋषियों में से दधीचि को ही इस कार्य के लिए सर्वोत्तम माना। इसके पश्चात सभी देवगण ऋषि दधीचि के के पास गए।

उन्होंने ऋषि से जगत के उद्धार के लिए उनकी अस्थियां मांगीं क्योंकि उनमें तपोबल का तेज था। दधीचि महान त्यागी थे। उन्होंने देवताआें का यह निवेदन स्वीकार कर लिया लेकिन उन्हाेंने देवताओं से एक अनुरोध किया कि शरीर छोड़ने से पहले वे सभी पवित्र नदियों के जल से स्नान करना चाहते हैं।

इंद्रदेव ने ऋषि का ये अनुरोध स्वीकार कर लिया और सभी नदियों का जल उनके आश्रम में आ गया। ऋषि ने उसमें स्नान किया और योगबल से शरीर त्याग दिया।

ऋषि दधीचि की अस्थियों से वज्र का निर्माण किया गया और उससे विभिन्न राक्षसों का अंत हुआ। इस प्रकार ऋषि दधीचि ने आत्मबलिदान देकर सृष्टि का कल्याण किया था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button