तो इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने 7 अपराधियों की फांसी की सजा पर लगाई रोक, जानें क्यों…

सुप्रीम कोर्ट ने रोहतक में साल 2015 में एक अक्षम नेपाली महिला के साथ हुए गैंगरेप और हत्या के मामले में 7 दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों द्वारा दायर की गई उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दी गई सजा पर रोक लगाने की मांग की गई है.

हरियाणा की रोहतक ज़िला सत्र अदालत ने मानसिक रूप से अक्षम नेपाली महिला के साथ 1 फ़रवरी 2015 में बलात्कार और उसकी हत्या करने के आरोप में 7 लोगों को दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी, इसके बाद इस साल 20 मार्च को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने मुजरिमों की अपील खारिज कर दी थी और उनकी फांसी की सजा बरक़रार रखते हुए उन पर सेशन कोर्ट से लगे जुर्माने की रक़म को 1.75 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया था. कोर्ट ने इसे बेहद संगीन अपराध बताया था. 

यह अपराध रोहतक ज़िले के गड्डी खेरा गांव में हुआ था. इस मामले में दोषियों ने पीड़िता के साथ दरिंदगी भरा बर्ताव किया था और सामूहिक बलात्कार के बाद पत्थरों से मार मार कर उसकी हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने सात लोगों को पकड़ा था जबकि 22 साल का सोमबीर आठवां मुलज़िम था, जो फ़रार था. जिसने दिल्ली के बवाना इलाक़े में आत्महत्या कर ली थी. इस घटना के विरोध में रोहतक में लोग सड़कों पर उतर आए थे और अपराधियों को गिरफ़्तार कर फांसी पर लटकाने की मांग को लेकर प्रदर्शन और जुलूस निकाले थे.

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सेशन कोर्ट ने अपराधियों को सज़ा सुनाते हुए कहा कि समाज आगे बढ़ रहा ह लेकिन समाज के मानसिक दिवालिएपन की वजह से ऐसे अपराध होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 जुलाई 2019) अपराधियों की अपील पर उनकी फांसी कि सज़ा पर रोक लगाई है और अपील पर सुनवाई के बाद अंतिम फ़ैसला सुनाएगा.

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