सुप्रीम कोर्ट का बद आदेश: अब जूनियर वकील भी कर सकते हैं शीघ्र सुनवाई की अपील

अपने पूर्ववर्ती आदेश में संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड (एओआर) के अलावा जूनियर वकील भी केस की शीघ्र सुनवाई के लिए आउट-ऑफ टर्न लिस्टिंग की अपील कर सकते हैं। 

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले साल 20 सितंबर को पुरानी प्रथा को खत्म करने का आदेश जारी किया था।  पुरानी प्रथा के अनुसार मान्यता प्राप्त वरिष्ठ वकील ही मामलों की आउट-ऑफ-टर्न लिस्टिंग (केस की सूचीबद्ध सुनवाई से इतर) के तहत शीघ्र सुनवाई की अपील कर सकते हैं। लेकिन पीठ ने स्पष्ट किया था कि सिर्फ एओआर ही शीघ्र लिस्टिंग और सुनवाई के लिए अपने केस का जिक्र कर सकते हैं। 

इस संबंध में कुछ वकीलों ने शिकायत की थी कि वरिष्ठ वकीलों को तो अपने केस का महत्व बताने का मौका मिल जाता है लेकिन जूनियर वकील को अपनी बात स्पष्ट करने का भी मौका नहीं मिल पाता। पीठ ने बृहस्पतिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान भरी अदालत में अपने इसी फैसले में संशोधन करते हुए नई घोषणा की। अदालत ने नया आदेश जारी करते हुए कहा कि एओआर के अलावा जूनियर वकील भी शीघ्र सुनवाई के लिए अपील कर सकते हैं। केस का जिक्र करना अच्छी कानूनी प्रैक्टिस की शुरुआत है।

 पीठ ने कहा कि जूनियर वकीलों को भी केस की शीघ्र सुनवाई कराने की कला आनी चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि नए वकीलों को शीघ्र सुनवाई का आवेदन करने के लिए तैयार रहना चाहिए और स्पष्ट अभिव्यक्ति के साथ अपील करना चाहिए।   

पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी हैं। एओआर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केस फाइल कराने और सुनवाई कराने के लिए शीर्ष अदालत के अधिकृत वकील होते हैं। शीर्ष अदालत किसी वकील को एओआर का दर्जा देने के लिए परीक्षा आयोजित करती है। 

 

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