सुप्रीम कोर्ट का आदेश- ग्रेप-3 में निर्माण प्रतिबंध से प्रभावित मजदूरों को दें भत्ता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण ग्रेप-3 लागू होने के बाद निर्माण कार्य बंद होने से प्रभावित मजदूरों, कारीगरों और निर्माण कर्मियों को निर्वाह भत्ता दिया जाए। शीर्ष अदालत ने एनसीआर वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान की सरकारों को वायु प्रदूषण कम करने के निवारक उपायों को लागू करने का भी निर्देश दिया। साथ ही, इनकी नियमित रूप से समीक्षा करने के लिए कहा। अदालत ने कहा, वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों को मासिक रूप से सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्य सरकारों से अगली सुनवाई पर मजदूरों को दिए भत्ते के भुगतान का ब्योरा भी तलब किया। पीठ ने कहा, वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के मकसद से की गई सक्रिय कार्रवाई स्वागत योग्य है। हालांकि, ऐसे निर्णय लेने वाले अफसरों को सभी कारणों पर विचार करना चाहिए और हितधारकों का ध्यान रखना चाहिए।

राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने 11 नवंबर को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप-3) लागू किया था। इनका मकसद निर्माण, वाहनों की आवाजाही एवं औद्योगिक संचालन पर कड़े प्रतिबंधों के जरिये उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।

स्कूलों में स्थगित करें खेल प्रतियोगिताएं
सीएक्यूएम ने दिल्ली समेत एनसीआर की सभी राज्य सरकारों को स्कूलों में खेल प्रतियोगिताएं स्थगित किए जाने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुबह ही सीएक्यूएम से कहा था, वह दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को नवंबर-दिसंबर में ओपन एयर खेल प्रतियोगिताओं को स्थगित करने का निर्देश दे।

प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए स्कूल इन्हें सुरक्षित महीनों में करा सकते हैं। पीठ ने कहा, गंभीर प्रदूषण के मुद्दे पर सक्रिय दृष्टिकोण की जरूरत है। न्यायमित्र अपराजिता सिंह कहा था, बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित हैं। अभी खेल कराना उन्हें गैस चैंबर में डालने जैसा है।

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