सीएम फडणवीस ने पुणे भूमि घोटाले में जांच समिति गठित की

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में सामने आए पुणे भूमि घोटाले पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि इस मामले की जांच में जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कार्रवाई होगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के पुत्र पार्थ पवार का नाम सामने आ रहा है। विपक्ष उन पर कार्रवाई की मांग कर रही है।

मुख्यमंत्री ने शनिवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पुणे में सरकारी संपत्ति की अवैध बिक्री से जुड़े मामले में अभी तक अजीत पवार के पुत्र पार्थ पवार का नाम स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है। इस सौदे को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली गई है, साथ ही एक छह सदस्यीय समिति ने जांच भी शुरू कर दी है।

जांच के दौरान यदि कुछ और लोगों के शामिल होने की बात सामने आती है, तो उनका नाम भी एफआईआर में शामिल किया जाएगा। पार्थ पवार का नाम एफआईआर में न होने पर हमला कर रहे विपक्ष को जवाब देते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि जो लोग यह भी नहीं समझते कि एफआईआर क्या होती है, वही इस प्रकार के बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।

फडणवीस ने कहा कि जब एफआईआर दर्ज होती है, तो वह संबंधित पक्षों के खिलाफ दर्ज की जाती है। इस मामले में भी कंपनी और उसके अधीकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा एक जांच समिति भी सौदे के सभी पक्षों की जांच कर रही है। मौजूदा एफआईआर में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। जांच रिपोर्ट आने के बाद जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी एक बयान में कहा है कि उनके पुत्र पार्थ पवार का नाम एफआईआर में नहीं है, क्योंकि उन्होंने रजिस्ट्रेशन डाक्यूमेंट्स पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। अजीत पवार ने यह दावा भी किया कि पार्थ को पता ही नहीं था कि किस जमीन के सौदे की बात हो रही है, या किस जमीन को अवैध रूप से बेचा जा रहा है।

बता दें कि इस मामले में विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) एवं कांग्रेस आरोप लगा रहे हैं कि पुणे के पॉश इलाके में स्थित 1800 करोड़ रुपए मूल्य वाली सरकारी जमीन का मूल्यांकन कम दिखाकर पार्थ पवार के स्वामित्व वाली कंपनी अमेडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को न सिर्फ 300 करोड़ रुपयों में बेच दिया गया, बल्कि उस पर स्टांप शुल्क भी नाममात्र को ही लिया गया। आज मुख्यमंत्री ने यह जानकारी भी दी कि जमीन की खरीद-फरोख्त की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई थीं, लेकिन पैसों का लेनदेन नहीं हुआ था। दूसरी ओर राजस्व विभाग से मिल रही जानकारी के अनुसार उक्त भूखंड का सौदा रद्द करने का आवेदन बेचने और खरीदने वाले दोनों पक्षों की ओर से किया गया है। अब सौदा रद्द करने की स्थिति में खरीदार से डबल स्टांप शुल्क लिया जाएगा। अर्थाता नियमानुसार भूखंड की खरीद पर 21 करोड़ रुपए स्टांप शुल्क लिया जाना था।

अब सौदा रद्द होने की स्थिति 42 करोड़ रुपए लिए जाएंगे। इस बीच राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने अपने पौत्र पार्थ पवार का नाम इस भूखंड सौदे में आने के बाद कहा है कि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि मामला गंभीर है। इसलिए उन्हें इसकी जांच करानी चाहिए, और तथ्यों को समाज के सामने रखना चाहिए।

शिवसेना के एक मंत्री पर भी आरोप
फडणवीस सरकार में शामिल अजीत पवार के पुत्र पर जमीन सौदे में गंभीर आरोप लगने के बाद अब इसी सरकार में शामिल शिवसेना के भी एक मंत्री पर जमीन सौदे का एक गंभीर मामला सामने आ रहा है।

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