व्यंग ‘सी’ से सिरदर्द : पढ़ें एक नवविवाहिता का रोचक शिक्षण
गाँव की नईनवेली दुल्हन अपने पति से अंग्रेजी भाषा सीख रही थी , पर वह अभी ‘सी’ अक्षर पर ही अटकी हुई थी , क्योकी उसकी समझ मे नही आ रहा था की ‘सी’ को कभी ‘च’ कभी ‘क’ तो कभी ‘स’ क्यो बोला जाता है ।
एक दीन वह अपने पति से बोली ” आप को पता है , चलचत्ता के चुली भी च्रिचेट खेलते है ” उसके पति ने यह सुन कर समझाया ” यहा ‘सी’ को ‘च’ नही ‘क’ बोलते है ,ऐसे कहते है कि कलकत्ता के कुली भी क्रिकेट खेलते है “
पत्नि ने फिर पुछा ” वह कुन्नी लाल कोपडा तो केयरमैन है न ? “
पति ने फिर समझाया , ” यहा ‘सी’ को ‘क’ नही ‘च’ बोलते है. चुन्नी लाल चोपडा तो चेयरमैन है न ” थोडी देर बाद पत्नि बोली, ” आप का चोट चैप दोनो चाटन का है ”
पति अब जरा तेज आवाज मे बोला ” तुम समझती क्यो नही , यहा ‘सी’ को ‘क’ बोलते है , कोट, कैप , काटन ”
पत्नि फिर बोली , ” कंडीगढ मे कंबल किनारे कर्क है ”
पति को गुस्सा आ गया , वह बोला ” बेवकूफ यहां ‘सी’ को ‘च’ बोलते है. चंडीगढ , चंबल , चर्च
पत्नि सहमते हुए धिरे से बोली ” चरंट लगने से चंडक्टर और च्लर्क मर गये ”
पति ने अपना सिर पिट लिया और बोला ” ये सारे ‘सी’ तो ‘क’ बोले जायेँगे .. करंट , कंडक्टर , और क्लर्क ”
पत्नि धिरे से बोली ” अजी तुम गुस्सा क्यो कर रहे हो ? देखो 2 केँटीमिटर का केल और किमेँट कितना मजबूत है ”
पति जोर से चीखा ” अब तुम बोलना बंद करो वरना मै पागल हो जाऊँगा , यहा ‘सी’ को ‘स’ बोलते है … सेँटीमीटर . सेल , सिमेन्ट ”
पत्नि बोली , ” इस ‘सी’ से मेरा भी सिर दर्द करने लग गया है , अब मै चेक खा कर चाफी के साथ चैप्सुल खा कर सोऊगी ”
जाते-जाते पति बडबडाता गया, ” तुम केक खाओ , पर मेरा सिर न खाओ , तुम काँफी पियो , पर मेरा खून न पियो , तुम कैप्सुल निगलो , पर मेरा चैन न निगलो “….
-राम स्वरुप माली की फेसबुक वाल से साभार