सात फेरे लेने से पहले यहां पर लड़किया करती है ये काम, सुनकर नहीं होगा यकीन
मवई विकासखण्ड के बैगा बाहुल्य ग्रामों में बैगा जनजाति के लोगों में चोंगी पीने की परंपरा लंबे समय से चलती आ रही है। हम आपको बता दें कि बैगा जनजाति में कई तरह के वैवाहिक समारोह होते हैं, जिसमे सबसे रोचक दशरहा के नाम से जाना जाता है। दशरहा के अंतर्गत एक गांव की युवक-युवतियां दुसरे गांव जाकर वहां के युवाओं के साथ रातभर नाचते हैं। नृत्य के दौरान अपना जीवनसाथी चुनते हैं।
चलती ट्रेन में लड़की से हुआ एकतरफा प्यार, और फिर तलाशने के लिए करना पड़ा ये काम
नृत्य के दौरान ही युवक-युवतियां एक दुसरे से प्रणय निवेदन करते हैं, जिसके बाद एक दुसरे को पसंद आए युवक-युवतियां जंगल में जाकर रात गुजारते हैं और सुबह आकर अपने माता-पिता से आशीर्वाद लेकर दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं।
दशरहा होली के ठीक बाद आने वाली परंपरा है, जिसमें करीब एक महीने तक बैगा युवक-युवतियां दुसरे गांवों में जाकर नृत्य करते हैं। इस विवाह को ग्रामीण बोलचाल की भाषा में ‘ले भागा, ले भागी’ भी कहते हैं। सबसे ख़ास बात यह है कि पाश्चात्य संस्कृति जैसी इस परंपरा को बुजुर्ग सामजिक दायित्व मानते हैं।