सरकारी बैंक शेयरों में आएगी और बड़ी तेजी, बैंकों के निजीकरण को सरकार का समर्थन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों के निजीकरण को समय की मांग बताया है। उन्होंने कहा कि 1969 में किए गए बैंकों के राष्ट्रीयकरण से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं, वे आगे जरूर बढ़े लेकिन सरकारी नियंत्रण के चलते अव्यवसायिक बन गए। वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन और राष्ट्रीय हित प्रभावित होगा।
शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से सरकारी बैंकों के शेयरों (PSU Banks Shares)में अच्छी तेजी देखने को मिल रही है, अब यह तेजी और रफ्तार पकड़ सकती है। क्योंकि, वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। दरअसल, कुछ दिनों पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कहा था कि केंद्र सरकार, पीएसयू बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की लिमिट बढ़ाकर 49 फीसदी कर सकती है। इन अटकलों के चलते SBI, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक समेत कई शेयरों में अच्छी खरीदारी देखने को मिली।
इसी कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण से वित्तीय समावेशन और राष्ट्रीय हित प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जहां तक वित्तीय समावेशन का सवाल है तो 1969 में किए गए बैंकों के राष्ट्रीयकरण से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं।
‘बैंकों के राष्ट्रीयकरण से अच्छे परिणाम नहीं मिले’
दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल आफ इकोनमिक्स में आयोजित हीरक जयंती समापन के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण से सरकारी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में मदद मिली, लेकिन सरकारी नियंत्रण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अव्यवसायिक बना दिया है। उन्होंने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण को 50 वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन जिन उद्देश्यों के लिए इनका राष्ट्रीयकरण किया गया था, वह पूरी तरह से हासिल नहीं हुए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “यह धारणा पूरी तरह गलत है कि अगर आप बैंकों को निजीकरण करेंगे तो उनका सभी तक पहुंचने का उद्देश्य खत्म हो जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब बैंकों को पेशेवर रूप से काम करने करने की अनुमति दी जाती है और फैसले बोर्ड द्वारा लिए जाते हैं तो राष्ट्रीय हित के साथ बैंकिंग हित भी पूरे होते हैं। वित्त मंत्री ने पूर्व में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के दुरुपयोग को याद करते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप बैलेंस शीट में गिरावट आई और इसे ठीक करने में लगभग 6 साल लग गए।
बेहतर हुई PSU बैंकों की स्थिति
अब मैं विश्वापूर्वक कह सकती हूं कि हमारे सरकारी बैंक एसेट क्वालिटी, लोन और डिपॉजिट ग्रोथ और वित्तीय समावेशन के मामले में बेहतर हैं। सरकार ने अगस्त 2019 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 4 बड़े विलय का एलान किया था, जिससे उनकी कुल संख्या 2017 के 27 से घटकर 12 हो गई। 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया गया। सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय कर दिया गया।
इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय कर दिया गया और आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक आफ इंडिया में विलय कर दिया गया। 2019 में, देना बैंक और विजया बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय कर दिया गया। इससे पहले, सरकार ने एसबीआई के पांच सहयोगी बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के साथ भारतीय महिला बैंक का विलय कर दिया था।





