सरकार ने सामान्य वर्ग को दिया 10 % आरक्षण, जानिए विपक्षी दलों का कैसा रहा रिएक्शन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है. सूत्रों ने सोमवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सरकार मंगलवार को इस संबंध में संसद में संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है. यह मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा. सूत्रों ने कहा कि सामान्य वर्ग को अभी आरक्षण हासिल नहीं है.
एक सूत्र ने बताया, ‘आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है.’ उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रूपये से कम होगी और 5 एकड़ तक जमीन होगी. सूत्रों ने बताया कि फैसले को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करना होगा.
कांग्रेस ने बताया मजाक
कांग्रेस की अमी याज्ञनिक का कहना है कि इस प्रकार के आरक्षण पर काफी तकनीकि दिक्कतें हैं, लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रकार आरक्षण देने का क्या मकसद है ये भी देखना होगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बिल आने और पास होने में काफी समय लग सकता है. सरकार इस मुद्दे को लेकर सीरियस नहीं है. कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने मोदी सरकार के इस फैसले को मजाक बताया है. उन्होंने कहा कि ये लोग जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं, इस बिल को ये पास भी नहीं करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई साधारण बिल पास नहीं हो पा रहा है तो फिर ये बिल कैसे पास हो पाएगा.
बीएसपी के नेता सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा, बिल को आने दीजिए ऐसा होना बहुत मुश्किल है. ये झूठ बोल रहै हैं. आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, 10% आरक्षण बढ़ाने के लिये संविधान संशोधन करना होगा सरकार विशेष सत्र बुलाये हम सरकार का साथ देंगे वरना ये फ़ैसला चुनावी जुमला मात्र साबित होगा.
रालोसपा के प्रमुख और हाल में नडीए से अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, जिस देश में जिन्हें पहले से आरक्षण मिला है उनकी स्थिति में सुधार नहीं है. पहले इनकी स्थिति ठीक हो जाए उसके बाद ही सरकार इनके लिए कर सकती है. लेकिन ये जुमला है और कुछ नहीं है.
एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कहा, LJP पूरी तरीके से इस कदम का स्वागत करती है. गरीबी की एक जाति होती है. हम चाहते थे 15 फीसदी. लेकिन 10 फीसदी मिला है. प्रमुखता से कहना कि अभी की स्थिति में बिना कोई बदलाव किए ऐसा किया जाएगा.
लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा, आरक्षण आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नहीं थी. जनभागीदारी बराबर के लिए प्रावधान था. आर्थिक स्थिति को ठीक करना था तो 15-15 लाख दे देते मोदी जी. आरेजेडी के दूसरे नेता शिवानन्द तिवारी ने स्वर्णों को आरक्षण एक छलावा बताया.