सरकार के हस्तक्षेप के बाद AFI ने IAAF से बोले, चित्रा की भागीदारी पर सोचें

नई दिल्ली: भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने खेल मंत्री विजय गोयल के हस्तक्षेप के बाद शनिवार (29 जुलाई) को विश्व संस्था (आईएएएफ) से पी यू चित्रा की आगामी विश्व चैम्पियनिशप में भागीदारी पर विचार करने का आग्रह किया. गोयल ने राष्ट्रीय महासंघ से केरल उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करने को कहा था.
एएफआई ने कहा कि उसने आईएएएफ को लिखा है और अब अंतरराष्ट्रीय महासंघ की अदालत का फैसला अंतिम होगा. एएफआई सचिव सी के वाल्सन ने कहा, ‘‘हमने आईएएएफ को अधिकारिक रूप से पत्र लिखकर पीयू चित्रा के प्रवेश पर विचार करने का आग्रह किया है कि महिलाओं की 1500 मीटर की रेस में भारतीय भागीदारी हो सके. अब यह आईएएएफ पर निर्भर करता है कि वे इस अनुरोध को स्वीकार करे या नहीं.
चित्रा ने इसी महीने की शुरुआत में भुवनेश्वर में हुई एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में महिलाओं की 1500 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है. उन्होंने यहां चार मिनट 17.92 सेकेंड का समय निकालते हुए पहला स्थान हासिल किया था. अंतर्राष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (आईएएएफ) के चयन मानदंडों के अनुसार, कोई खिलाड़ी विश्व चैम्पियनशिप के लिए क्वॉलीफाई तभी कर सकता है
जब वह क्वालीफिकेशन के मापदंडों को पूरा करे या उप-महाद्वीप में होने वाली प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीते. इस पैमाने पर चित्रा चार अगस्त से लंदन में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में क्वॉलीफाई करने को पूरी तरह खरी उतरती हैं, हालांकि एशियन चैम्पियनशिप में हासिल किया गया उनका समय क्वालीफाइंग सीमा से कम है. क्वालिफाइंग की न्यूनतम सीमा चार मिनट 7.5 सेकेंड है.
केरल हाई कोर्ट ने केंद्र से कहा, चित्रा को विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में शामिल करो
केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (28 जुलाई) को केंद्र सरकार और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) को निर्देश दिया कि वे अगले महीने लंदन में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पीयू चित्रा का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करें. न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने अंतरिम आदेश में सरकार, एएफआई और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) को निर्देश दिया कि वे सभी इंतजाम किए जाएं जिससे आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप की 1500 मीटर दौड़ में चित्रा का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके.
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अदालत ने साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि चैंपियनशिप के लिए चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और क्वालीफाई करने वाले एथलीटों की अनदेखी की गई. अदालत ने कहा कि पेश किए गए रिकॉर्ड खुलासा करते हैं कि याचिकाकर्ता की अनदेखी की गई और उसके साथ भेदभाव किया गया. अदालत ने कहा, ‘ऐसा देखा गया है कि कई लोग जो आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप के लिए तय मानक के करीब भी नहीं थे उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया.’