‘श्रीकांत’ पर भारी पड़ गए जयदीप, पहले से ज्यादा खतरनाक मिशन

मनोज बाजपेयी की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज द फैमिली मैन का तीसरा सीजन आज रिलीज हो गया है। इस सीजन में खलनायक बनकर जयदीप अहलावत आए हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस बार श्रीकांत तिवारी का मिशन सक्सेसफुल होता है या नहीं।

एक दृश्‍य में श्रीकांत तिवारी (मनोज बाजपेयी) कहता है- दिस टाइम इट्स पर्सनल (यानी इस बार यह निजी है)। यहीं से स्‍पष्‍ट है कि इस बार मिशन निजी जिंदगी से जुड़ा होगा। देश की सुरक्षा और पारिवारिक जिम्‍मेदारियों के बीच झूलते श्रीकांत तिवारी और उनके मसखरे सहयोगी जेके (शारिब हाशमी) को केंद्र में रखकर बनी वेब सीरीज द फैमिली मैन का तीसरा सीजन इस बार नार्थ ईस्‍ट में सेट है। नार्थ ईस्‍ट के साथ कहानी लंदन, इस्लामाबाद, म्यांमार के साथ दिल्‍ली, मुंबई भी आती-जाती है।

फैमिली मैन यानी श्रीकांत के मिशन को पहले एपिसोड में स्‍थापित कर दिया गया है। कहानी का आरंभ नागालैंड के कोहिमा में एक सांस्‍कृतिक उत्‍सव में बम विस्‍फोट के साथ होता है। इसके साथ ही उत्तर पूर्व के छह बड़े शहरों में हुए बम धमाकों में सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। इसकी तपिश दिल्‍ली भी पहुंचती है। सरकार ने एकसाथ सारे विद्रोही ग्रुप को एक टेबल पर आने के लिए मनाया होता है।

प्रधानमंत्री बासु (सीमा बिस्‍वास) उत्तर पूर्व में शांति और विकास को लेकर सहाकार प्रोजेक्‍ट को लाना चाहती है। यह प्रोजेक्ट एक क्लासिफाइड मिशन भी है जिसे चीन के प्रोजेक्ट गुआन यू का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसकी वजह से भारत-म्यांमार बॉर्डर पर कई फीनिक्स गांव उग आए हैं। बासु ने रक्षा विभाग की हथियारों की डील को बैकफुट पर रखा होता है।

बिखरे हुए बागी ग्रुप्स को एक साथ लाने के लिए, कुलकर्णी (दलीप ताहिल), और श्रीकांत (मनोज बाजपेयी) स्‍थानीय नेता डेविड खुजो से कोहिमा में मुलाकात करते हैं जिन्होंने बागी समूहों को एकजुट करने में मदद की है। हालांकि यात्रा के दौरान स्‍थानीय ड्रग डीलर रुक्मा (जयदीप अहलावत) कुलकर्णी और डेविड दोनों को मार डालता है। बुरी तरह घायल होने के बावजूद श्रीकांत हमले में बच जाता है।

रुक्मा ने यह हमला मीरा (निम्रत कौर) के कहने पर किया होता है, जो लंदन में रहने वाली एक फिक्सर है और जिसके कई ग्लोबल एजेंसियों से कनेक्शन हैं। वह अरबपति द्वारकानाथ (जुगल हंसराज) की एक बड़ी हथियारों की डील को तेजी से पूरा करने के लिए इलाके में अस्थिरता फैलाना चाहती है। अपने गुरु कुलकर्णी को अपनी आंखों के सामने मारे जाने से श्रीकांत आहत है।

मुंबई वापस आकर, श्रीकांत के लिए हालात और खराब हो जाते हैं जब कुलकर्णी की मौत का शक उस पर जाता है। वह परिवार का साथ फरार होता है। एक नया टास्‍क (TASC) ऑफिसर यतीश चावला (हरमन सिंघा) उसे ढूंढ़ने में लग जाता है। श्रीकांत खुद को कैसे बेगुनाह साबित करेगा? वह रुक्मा को पकड़ने के मिशन में कामयाब होगा? कहानी इस संबंध में है।

राज एंड डीके ने तीसरे सीजन में किया कमाल

दिलचस्प और मनोरंजक कहानी बनाने में माहिर क्रिएटर-डायरेक्टर जोड़ी राज और डीके जियो-पॉलिटिकल माहौल की नब्ज पर अच्‍छी पकड़ रखते हैं जिसमें वे अपनी कहानियां सेट करते हैं। इस बार नॉर्थ ईस्‍ट की दिक्‍कतों के साथ विदेशी ताकतों से खतरे के मुद्दे को भी उठाते हैं। इसमें चीन के ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा भी शामिल है। सीरीज का ज्‍यादातर हिस्सा नॉर्थ ईस्ट में शूट किया गया है। राज और डीके ने नॉर्थ ईस्ट को समुचित तरीके से दिखाने के साथ स्थानीय कलाकारों और स्‍थानीय संगीत को शामिल करके उसे विश्वसनीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

कहां भटक गई द फैमिली मैन सीजन 3?

सामाजिक-राजनीतिक मुश्किलें, कल्चरल बारीकियां और यहां तक कि खूबसूरत नजारों को भी बारीकी के साथ दर्शाया गया है। सीजन 3 में हर एपिसोड तकरीबन 55 मिनट का है। शुरुआती एपिसोड उम्मीद जगाते हैं, बीच के एपिसोड भटकते हैं और आखिरी एपिसोड इतनी तेजी से बढ़ते हैं कि क्लाइमेक्स जल्दबाजी में और निराशाजनक रूप से अटका हुआ लगता है।

मन में कई सवाल छोड़ जाते हैं सीजन 3

सबसे कमजोर पीएम बासु का किरदार लगता है। उनके फैसले अहंकार या दूसरों की सलाह से ज्‍यादा प्रभावित होते हैं। यह खटकता है। इसी तरह सुचि को जब पता चलता है कि श्रीकांत इंटेलीजेंस में हैं तो वह चौंकती नहीं है। रुक्‍मा की प्रेम कहानी भी अूधरी लगती है। सीरीज को लेकर कई सवाल मन में रह जाते हैं जिनके जवाब नहीं मिले हैं। उम्‍मीद है कि चौथे सीजन में उनके जवाब मिलेंगे।

किरदार में फिर मनोज बाजपेयी ने छोड़ी छाप

बहरहाल, एक्शन और इमोशन के साथ श्रीकांत के बिंदास अंदाज का ह्यूमर हमेशा से द फैमिली मैन की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह रहा है। सीजन 3 में भी यह कायम है। जेके और श्रीकांत का दोस्ताना मजाक शो के भारी, डार्क पलों में जरूरी संतुलन लाते हैं। खास तौर श्रीकांत और जेके के बीच ट्रेन का दृश्‍य जब श्रीकांत और टीटी के बीच बातचीत होती है।

मनोज बाजपेयी श्रीकांत तिवारी के रोल में वापस आए हैं। इस बार उनके परिवार को उनके जासूस पेशे के बारे में पता है, लेकिन पारिवारिक तनाव कायम है। इसमें दो राय नहीं कि मनोज शो की जान बने हुए हैं। वह हर फ्रेम को अपने अभिनय से शानदार बनाते हैं।

जयदीप अहलावथ भी खलनायिकी में निकले अव्वल

सुचित्रा (प्रियामणि) सीमित भूमिका में अपनी बेहतरीन परफार्मेंस देती हैं। रुक्मा की भूमिका में जयदीप अहलावत का पात्र आम खलनायक की तरह चीखता चिल्लाता नहीं है। उसकी चुप्‍पी, अचानक रुक जाना और सपाट हाव-भाव से उसकी अगली गतिविधि के बारे में अनुमान लगाना कठिन है। वह खलनायक के लिए उपयुक्‍त लगते हैं। मीरा की भूमिका में निम्रत कौर चमकती हैं।

ये कलाकार भी बने सीरीज की जान

नॉर्थ ईस्ट के कलाकारों में स्टीफन खुजू के रोल में पालिन कबाक, रैबिट के रोल में तेनजिंग दल्हा, जेस्मिना के रोल में मिलो सुनका, उलूपी के रोल में पूनम गुरुंग, कर्नल झुलोंग के रोल में जेसन थाम आदि शो की रीढ़ हैं। इनके अलावा श्रेया धनवंतरी, विपिन शर्मा, गुल पनाग, दर्शन कुमार, आदित्‍य श्रीवास्‍तव, दलीप ताहिल और सीमा बिस्वास अपनी भूमिका के साथ न्‍याय करते हैं। शो में विजय सेतुपति (Vijay Sethupathi) के कैमियो को भी खूबसूरती से जोड़ा गया है।

राज और डीके ने तीसरे सीजन में जासूसी ड्रामे पर पकड़ बनाए रखी है। थोड़ी बहुत खामियों के बावजूद देखना बनता है।

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