श्राद्ध के 15 दिन में कभी भी करें ये आसान सा कार्य, होगी हर इच्छा पूरी

याज्ञIMG-20150903-WA0009-1441294703वल्क्य का कथन है कि श्राद्ध देवता श्राद्धकर्त्ता को दीर्घ जीवन, आज्ञाकारी संतान, धन विद्या, संसार के सुख भोग, स्वर्ग तथा दुर्लभ मोक्ष भी प्रदान करते हैं। श्राद्ध तिथि पर किया जाने वाला तर्पण और श्राद्ध पितरों की अक्षय तृप्ति का साधक होता है। तिलांजलि से तृप्त होकर पितृ आशीर्वाद प्रदान करते हैं। तिल मिश्रित जल और कुश के साथ किए गए तर्पण को ही तिलांजलि कहा जाता है। याज्ञवल्क्य का कथन है कि श्राद्ध देवता श्राद्धकर्त्ता को दीर्घ जीवन, आज्ञाकारी संतान, धन, विद्या, संसार के सुख भोग, स्वर्ग तथा दुर्लभ मोक्ष भी प्रदान करते हैं।

स्कन्दपुराण में कहा गया है कि सूर्यदेव के कन्या राशि पर स्थित रहते समय आश्विन कृष्णपक्ष (श्राद्धपक्ष या महालय) में पितर अपने वंशजों द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध व तर्पण से तृप्ति की इच्छा रखते हैं। जो मनुष्य पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध -तर्पण करेंगे, उनके उस श्राद्ध से पितरों को एक वर्ष तक तृप्ति बनी रहेगी।

मिलता है पितरों का आशीर्वाद

ब्रह्मपुराण में कहा गया है “आयु: प्रजां धनं विद्यां स्वर्गं मोक्षं सुखानि च। प्रयच्छन्ति तथा राज्यं पितर: श्राद्ध तर्पिता।।” अर्थात श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुए पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, विद्या, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष तथा स्वर्ग आदि प्रदान करते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य, शुभ कार्य, विवाह और विवाह की बात चलाना वर्जित है।

श्राद्ध केवल अपराह्न काल में ही करें। श्राद्ध में तीन वस्तुएं पवित्र हैं- दुहिता पुत्र, कुतपकाल (दिन का आठवां भाग) तथा काले तिल। श्राद्ध में तीन प्रशंसनीय बातें हैं- बाहर-भीतर की शुद्धि, क्रोध नहीं करना तथा जल्दबाजी नहीं करना। “पद्म पुराण” तथा “मनुस्मृति” के अनुसार श्राद्ध का दिखावा नहीं करें, उसे गुप्त रूप से एकांत में करें। धनी होने पर भी इसका विस्तार नही करें तथा भोजन के माध्यम से मित्रता, सामाजिक या व्यापारिक संबंध स्थापित न करें। श्राद्ध काल में श्रीमदभागवतगीता, पितृसूक्त, ऐन्द्रसूक्त, मधुमति सूक्त आदि का पाठ करना मन, बुद्धि एवं कर्म की शुद्धि के लिए फलप्रद है।

विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध के अवसर पर दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु तिथि को निमंत्रण देकर ब्राह्मण को भोजन, वस्त्र एवं दक्षिणा सहित दान देकर श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इस दिन पांच पत्तों पर अलग-अलग भोजन सामग्री रखकर पंचबलि करें ये हैं- गौ बलि, श्वान बलि, काक बलि, देवादि बलि तथा चींटियों के लिए। श्राद्ध में एक हाथ से पिंड तथा आहुति दें परन्तु तर्पण में दोनों हाथों से जल देना चाहिए।

 
 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button