वास्तु के अनुसार, कैसा होना चाहिए आपके घर का मेन गेट

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसे में मुख्य द्वार से जुड़े वास्तु नियमों का भी ध्यान रखना जरूरी है, जिसमें इसकी दिशा भी शामिल है। चलिए पढ़ते हैं मेन गेट से जुड़े कुछ जरूरी नियम।
अगर आप अपने जीवन में कुछ वास्तु नियमों को अपनाते हैं, तो इससे आपके घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है। घर का मुख्य द्वार भी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यहीं से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। ऐसे में आप इससे मेन गेट के लिए इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
क्या है सही दिशा
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व होता है। ऐसे में यह जरूरी है कि आप मुख्य द्वार की दिशा का भी विशेष रूप से ध्यान रखें। वास्तु शास्त्र में माना गया है कि आपका मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में होना चाहिए। साथ ही आप दक्षिण-पूर्व की ओर भी मुख्य द्वार बना सकते हैं। लेकिन दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में मेन गेट बनवाने से बचना चाहिए, वरना इससे वास्तु दोष का खतरा बढ़ जाता है।
कर सकते हैं ये काम
रोजाना शाम के समय मुख्य द्वार पर घी का दीपक जरूर जलाएं। इससे घर में सकारात्मकता का प्रवेश होता है। इसके साथ ही पॉजिटिविटी को बढ़ाने के लिए मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाना और तुलसी का पौधा रखना भी शुभ माना गया है। नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने के लिए दहलीज या चौखट बनवाना भी एक अच्छा उपाय है।
रखें इन बातों का ध्यान
वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार पर साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही वास्तु में घर के मुख्य द्वार पर एक नेम प्लेट लगाना शुभ माना गया है। इस बात का भी ध्यान रखें कि नेम प्लेट पर धूल नहीं चढ़नी चाहिए। साथ ही वास्तु में यह माना गया है कि मुख्य द्वार का दरवाजा हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए, न कि बाहर की ओर। वहीं मुख्य द्वार पर अच्छी रोशनी भी होनी चाहिए।
इस बात का भी खास तौर से ध्यान रखें कि जूतों-चप्पल, कूड़ेदान या झाड़ू आदि को मुख्य द्वार पर न रखें, वरना इससे नकारात्मकता बढ़ती है। इसके अलावा वास्तु में दो पल्ले वाले दरवाजा लगवाना अधिक शुभ माना गया है, क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा को घर में आने से रोकता है।





