वर्किंग पेरेंट्स हर हाल में रखें इन 3 बातों का ध्यान

आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में ज्यादातर पेरेंट्स वर्किंग हैं। घर और ऑफिस के बीच बैलेंस बनाना किसी चैलेंज से कम नहीं होता है। ऐसे में अक्सर अनजाने में बच्चों की जरूरतें कहीं पीछे छूट जाती हैं जिसका असर उनके विकास और व्यवहार पर पड़ सकता है। अगर आप भी वर्किंग पेरेंट हैं तो इन 3 बातों का खास ध्यान रखकर आप अपने बच्चे को परेशानियों से बचा सकते हैं।
आज के समय में महंगाई लगातार बढ़ रही है और लाइफस्टाइल की जरूरतें भी बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में, ज्यादातर माता-पिता दोनों ही वर्किंग होते हैं। एक तरफ करियर और परिवार की जिम्मेदारियां होती हैं, वहीं दूसरी तरफ बच्चों की परवरिश की चुनौती। यही वजह है कि अक्सर पेरेंट्स कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिनका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। जी हां, अगर आप भी वर्किंग पेरेंट हैं, तो इस आर्टिकल में बताई गई 3 बातों (Working Parents Tips) का खास ध्यान रखें।
बच्चों को दें क्वालिटी टाइम
अक्सर वर्किंग पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि उनके पास बच्चों के लिए समय नहीं बचता। वे भले ही फिजिकली घर पर मौजूद हों, लेकिन उनका दिमाग दफ्तर के काम या अन्य चिंताओं में उलझा रहता है। ऐसे में, जब आप घर पर हों, तो बच्चे के साथ पूरी तरह से जुड़ें। फोन को दूर रखें, टीवी बंद करें और उसके साथ खेलें, किताबें पढ़ें या फिर कुछ भी बातें करें। बता दें, इससे बच्चे को महसूस होता है कि वह आपके लिए कितना जरूरी है। यह न सिर्फ उनकी इमोशनल ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी है, बल्कि उन्हें अकेलेपन का शिकार होने से भी बचाता है।
बच्चों की अनकही बातों को समझें
बच्चे बोलकर भले ही अपनी सारी बातें बयां न कर पाएं, लेकिन उनके बरताव और हाव-भाव में उनकी जरूरतें छिपी होती हैं। बिजी होने के चलते माता-पिता अक्सर इन संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में, आप हर दिन अपने बच्चे से उसके दिन के बारे में पूछें। स्कूल में क्या हुआ, दोस्तों के साथ कैसा समय बिताया, कोई परेशानी तो नहीं है? कुल मिलाकर आप उन्हें अपनी बातें कहने के लिए मोटिवेट करें और सुनने से पहले ही सलाह देने या टोकने से बचें।
घर का शेड्यूल बनाए रखें
वर्किंग होने के कारण पेरेंट्स के शेड्यूल में अक्सर बदलाव आते रहते हैं। कभी देर तक काम करना, कभी बिजनेस ट्रिप पर जाना, जिसका सीधा असर बच्चे की दिनचर्या पर पड़ता है। ऐसे में, आप कोशिश करें कि कम से कम बच्चे के सोने, खाने और खेलने का एक फिक्स टाइम हो। अगर आपके शेड्यूल में बदलाव आ रहा है, तो बच्चे को पहले से बताएं और समझाएं, नहीं तो उनका बरताव चिड़चिड़ा हो सकता है और उन्हें नींद से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।