वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जेएनयू में नई सोसाइटी गठित, विलुप्त होती प्रजातियों पर होगा काम

जेएनयू में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक नई सोसाइटी का गठन किया गया है। यह सोसाइटी खासकर विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवास के संरक्षण और जैव विविधता को बनाए रखने के लिए काम करेगी।

JNU: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में वन्यजीवों की देखरेख के लिए एनिमल वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया गया है। जेएनयू प्रशासन का दावा है कि किसी भी भारतीय विश्वविद्यालय में यह ऐसा पहला वैधानिक निकाय होगा। इस सोसाइटी का गठन जेएनयू कुलगुरु प्रोफेसर शांतिश्री डी. पंडित ने शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों के अनुपालन के अनुरूप किया है।

जेएनयू प्रशासन के अनुसार इस परिवर्तनकारी बदलाव के लिए जेएनयू कुलपति ने पहल की है। एनिमल वेलफेयर केवल पाठ्यक्रम में नहीं बल्कि कैपस निवासियों के दैनिक जीवन में भी एकीकृत हो। ताकि वह वन्य जीवों के बारे में जानकारी पा सकें। एनिमल वेलफेयर सोसाइटी को लेकर 26 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई।

जेएनयू परिसर में वन्यजीव कल्याण और सुरक्षा गतिविधियां
सोसाइटी की अध्यक्षता एसोसिएट डीन ऑफ स्टूडेंट प्रोफेसर पीयूष प्रताप सिंह करेंगे जो जेएयनू एनिमल बर्थ कंट्रोल कमेटी के अध्यक्ष है। इस सोसाइटी में फैकल्टी, स्टाफ, छात्र प्रतिनिधि और बाहरी सलाहकार के तौर पर वन्यजीव कल्याण कार्यकर्ता गौरी मौलेखी को भी शामिल किया गया है।

प्रोफेसर पीयूष प्रताप सिंह ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता जेएनयू में विलुप्त होते वन्यजीवों का संरक्षण करना होगा। इसमें रेप्टाइल, पॉर्क्यूपाइन सहित कई दूसरे वन्यजीव शामिल है। नीलगाय, सियार, लोमड़ी की सुरक्षा के लिए परिसर में फेंसिंग लगाने का कार्य किया जाएगा। जिससे वह परिसर से बाहर न जाएं।

सोसाइटी परिसर में फीडिंग जोन बनाए जाएंगे। किसी भी वन्य जीव के घायल होने पर प्राथमिक उपचार के लिए टीम उपलब्ध रहेगी। ताकि तत्काल उनका उपचार हो सके। उनकी सुरक्षा को लेकर पूरी निगरानी रखी जाएगी। एनिमल वेलफेयर के लिए जागरूकता और शैक्षणिक गतिविधियां आयोजित होंगी। इंटर्नशिप का अवसर दिया जाएगा।

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