लोगों को खूब भा रहा मेक्सिकन और भारतीय व्यंजनों का फ्यूजन

कल्पना कीजिए, फैंसी रेस्टोरेंट में बैठकर आपने मेक्सिकन डिश बरिटो और पोब्लानो पेपर्स का आर्डर दिया। कुछ देर का इंतजार और मेज पर सज चुकी है मेक्सिकन भोजन की थालियां। बरिटो से उठती सुगंध कुछ अलग मगर जाना-पहचाना सा एहसास करा रही है।

दिमाग से आया संदेश कह रहा है कि ये बिरयानी की लाजवाब खुशबू क्यों आ रही है, जबकि सामने तो मेक्सिकन डिश की पहचान बरिटो रखा है। पहली ही बाइट इसका जवाब दे जाती है, क्योंकि यह शेफ स्पेशल डिश बिरयानी बरिटो तैयार हुई है इंडो-मेक्सिकन फ्यूजन कुजीन के साथ। जहां सुगंधित करी, मलमल सी नाजुक नान और मसालेदार ग्रेवी सहित भारतीय मसालों व पाक परंपरा के साथ तैयार हो रहा है मेक्सिकन सालसा, टेकोज और एनचिलाडा।

एक-दूसरे से जुड़ रही दो पाक परंपराएं
पाककला की दुनिया में इन दिनों भारतीय और मेक्सिकन व्यंजनों का ताना-बाना बुना जा रहा है। भौगोलिक रूप से अलग-अलग दिखने वाली स्वाद से भरपूर ये दो पाक परंपराएं तेजी से एक-दूसरे से जुड़ रही हैं। यह फ्यूजन हमारे जुबान को तो लुभा ही रहा है, साथ ही सांस्कृतिक समानताओं का जश्न भी मना रहा है।

मेक्सिकन व्यंजनों के बोल्ड स्वाद भारतीय रेस्टोरेंट के मेनू में सहज रूप से अपना रास्ता बनाने लगे हैं। कुछ नया अनुभव लेने के शौक में भारतीय फूडी इस इंडो-मेक्सिकन फ्यूजन को भरपूर जगह दे रहे हैं। शेफ और रेस्टोरेंट मालिक मेक्सिकन और भारतीय पाक परंपराओं के बीच मौजूद समानताओं को पहचानकर स्वादिष्ट हाइब्रिड व्यंजन तैयार कर रहे हैं।

काम आई पुरानी पहचान
शुरू में लोग मेक्सिकन-भारतीय फ्यूजन डिश ट्राई करते समय झिझकते अवश्य हैं, लेकिन एक बार जब वे पनीर स्टफ्ड पोब्लानो पेपर्स, बिरयानी बरिटो जैसे व्यंजन का स्वाद चखते हैं, तो प्रतिक्रिया अत्यधिक सकारात्मक मिलती है। मसालों से हमारी पुरानी पहचान ने इस फ्यूजन को रोमांचक बना दिया है, जिससे यह उतना बाहरी स्वाद नहीं लगता। इंडो-मेक्सिकन डिश बनाते समय हम यह अवश्य ध्यान रखते हैं कि यह दो पाक परंपराओं का गड़बड़झाला न लगकर एक सोच-समझकर तैयार किया गया फ्यूजन लगे। उदाहरण के लिए, हम साल्सा वर्डे में मेथी का उपयोग तो करते हैं, लेकिन इसकी मेक्सिकन पहचान को भी बरकरार रखा जाता है।

हां, इंडो-मेक्सिकन फ्यूजन मेन्यू को देखकर लोगों को लगता है कि यह टैकोज या किसी अन्य मेक्सिकन डिश का भारतीय संस्करण होगा, तब हमें उन्हें समझाना पड़ता है कि असल में वे क्या स्वाद चखेंगे। हालांकि अच्छी बात यह है कि इस फ्यूजन की लहर मेक्सिकन भोजन की अपेक्षा तेजी से बढ़ रही है जो इसके बेहतर भविष्य को दर्शाती है। जैसे-जैसे अधिक शेफ और रेस्टोरेंट भोजन के साथ प्रयोग करने, फ्यूजन का संतुलन बनाने और भोजन करने वालों को इसके बारे में जागरूक करना जारी रखेंगे, इंडो-मेक्सिकन फ्यूजन भारत की लगातार विकसित हो रही पाक कहानी में एक महत्वपूर्ण और स्वादिष्ट अध्याय बन जाएगा।

बस संतुलन है जरूरी
हमारे सबसे रोमांचक प्रयोगों में से एक भारतीय तंदूरी मैरिनेट करने के तरीके का उपयोग करके क्लासिक मेक्सिकन टैकोज अल पैस्टर को फिर से बनाना है। पारंपरिक एडोबो के बजाय हम दही, कश्मीरी लाल मिर्च, हल्दी और गरम मसाले में मांस को मैरीनेट करते हैं- फिर इसे मेक्सिकन अल पैस्टर की तरह धीमी आंच पर भूनते हैं। परिणामस्वरूप दही के हल्के तीखेपन के साथ पका मसालेदार मांस, मेक्सिकन एडोबो और भारतीय तंदूरी के बीच एक पुल का काम करता है। इसी तरह हमारे बटर चिकन क्वेसाडिला में हम करी की रिचनेस बरकरार रखने के लिए अचारी प्याज और ताजा पिको डी गैलो को एकसाथ मिलाते हैं, ताकि दोनों में कोई भी

दूसरे पर हावी न हो।
इसी तरह फलों या एलोटे पर ताजिन मसाला मिलाने के बजाय आमचूर इसके स्वाद को दोगुणा कर देता है। हम टार्टिला में लार्ड (एनिमल फैट) के बजाय घी का उपयोग करते हैं– यह इसे अलग सुगंध देता है और पौष्टिक भी बनाता है। देसी पानी पूरी के पानी ने टैमेरिंड-चिली मार्गरिटा रिम को प्रेरित किया। यह स्वाद को जोरदार हिट देता है। चाट और चूरोस आपस में गुत्थमगुत्था हैं। यहां दोनों पाक परंपराओं के बीच संतुलन बनाने वाली बात है। इसके लिए हम चरण-दर- चरण ध्यान रखते हैं- भारतीय मसालों (जैसे जीरा, धनिया, या इलायची) का संयम से उपयोग करते हुए मेक्सिकन सामग्री (लाइम, बेसिल, एवोकाडो) के स्वाद को भी प्राथमिकता पर रखने को लेकर सतर्क रहते हैं।

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