राष्ट्रीय मुद्दों के साथ पश्चिम को साध गई प्रियंका, भाजपा के खिलाफ तीखे तेवर

कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव ने रोड शो से लेकर संबोधन तक खुद को एक मंझे हुए नेता के तौर पर जनता के सामने रखा। चेहरे पर मुस्कान लिए सेल्फी लेकर हर व्यक्ति से संवाद करने की कोशिश की तो राष्ट्रीय मुद्दों को उठाकर मोदी सरकार पर प्रहार भी किया। भाषण की शुरुआत उन्होंने लोकतंत्र का लोगों को मतलब समझाकर की। किसानों पर लाठीचार्ज का जिक्र कर पश्चिमी यूपी की नब्ज पर भी हाथ रखा।राष्ट्रीय मुद्दों के साथ पश्चिम को साध गई प्रियंका, भाजपा के खिलाफ तीखे तेवर

प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को विकास से लेकर रोजगार जैसे हर मोर्च पर घेरने का प्रयास किया। जब कुछ लोग मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हंसे तो उन्हें यह कहकर टोकने से भी परहेज नहीं किया कि आप हंसिये मत। ये बड़ी सीरियस राजनीति है…। इसलिए बहुत सोच समझकर वोट कीजिए। मोदी सरकार के विकास कैंपेन पर बड़ी सफाई से यह कहते हुए सवाल भी कर खड़े कर दिया कि मैं स्वयं उसमें फंस चुकी हूं, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों ने बताया कि वो सिर्फ भाषण देने आते हैं और चले जाते हैं। रोड शो के बाद संबोधन संक्षिप्त था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को विदेश दौरों, विकास, बेरोजगार, राष्ट्रवाद, किसान, व्यापारी, महिलाओं जैसे मुद्दों पर बड़े आक्रामक तरीके से घेरा।

सरकार के राष्ट्रवाद को भी भेदभाव पूर्ण बताया और पांच साल में चुनावी वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया। आशा बहुओं से लेकर नौजवानों व किसानों की आवाज दबाने का आरोप लगाकर उन्होंने हर वर्ग को साधने की कोशिश की। उन्होंने किसानों की नब्ज पर भी हाथ रखा और याद दिलाई कि केंद्र सरकार ने बीते वर्ष दो अक्तूबर को किसानों को दिल्ली जाने से रोक दिया था। पश्चिम की राजनीति में किसान अहम भूमिका रखते हैं, इसलिए उन्होंने यह कहते हुए सरकार पर प्रहार किया कि किसान अपनी बात रखने के लिए नंगे पांव आए थे, लेकिन उनके लिए दिल्ली के दरवाजे बंद कर लिए गए। ध्यान रहे कि बीते वर्ष 23 सितंबर को भाकियू के बैनर तल किसान क्रांति यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर दिल्ली के लिए निकली थी, लेकिन सरकार ने उन्हें दिल्ली में जाने से रोक लिया था। 
 
शब्दों में दिखा तीखापन 
प्रियंका ने मोदी सरकार के खिलाफ तीखे शब्दों का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटीं। केंद्र की मोदी सरकार पर सनक भरी व नकारात्मक राजनीति कर आम आदमी की आवाज दबाने का आरोप भी लगाया। साथ में अपनी सरकार के घोषणापत्र को हर वर्ग का बताकर मतदाताओं को साधने की कोशिश की। खासकर गरीब परिवार को 72 हजार और किसानों की कर्ज माफी का जिक्र कर उन्होंने निचले तबके और किसानों को साधने का प्रयास किया।

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