राजस्थान में निवेश की रफ्तार तेज: 7.05 लाख करोड़ के एमओयू पर ज़मीन पर काम शुरू

राजस्थान में निवेश परिदृश्य अब इरादों से हकीकत की ओर बढ़ रहा है। अब तक हुए 3,362 एमओयू पर ज़मीनी स्तर पर काम शुरू हो गया है, जिनमें 7.05 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव शामिल हैं। ये निवेश राज्य के 20 प्रमुख सेक्टरों में किए जा रहे हैं। ऊर्जा क्षेत्र निवेश में सबसे आगे है, जिसमें 432 एमओयू के माध्यम से 5.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इनमें अक्षय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े बड़े उपक्रम शामिल हैं, जो राजस्थान को देश का अग्रणी क्लीन एनर्जी हब बनाने की दिशा में हैं।

सेक्टर वाइज निवेश का ब्योरा:
उद्योग विभाग ने 1,182 एमओयू के तहत 57,319 करोड़ रुपये के निवेश आकर्षित किए हैं, जो विनिर्माण और एमएसएमई सेक्टर में निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाते हैं।

शहरी विकास एवं आवासन क्षेत्र में भी 306 एमओयू के तहत 26,826 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट क्रियान्वयन के चरण में हैं, जिनका फोकस शहरी विस्तार, सस्ती आवास योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर है। इसके अलावा, खनन क्षेत्र में 22 एमओयू के माध्यम से 28,092 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। पर्यटन क्षेत्र में 267 एमओयू के तहत 8,907 करोड़ रुपये के निवेश से हेरिटेज, इको और एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में 663 एमओयू से 7,741 करोड़ रुपये के निवेश के जरिए एग्री-वैल्यू चेन और फूड प्रोसेसिंग को मज़बूती दी जा रही है। चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा में भी 5,500 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं, जो स्वास्थ्य और कौशल विकास के बुनियादी ढांचे को सशक्त करेंगे। इसके साथ ही, एविएशन, आयुष, पशुपालन, आईटी और खेल जैसे उभरते क्षेत्रों में भी नई नीतियों के तहत ठोस प्रगति हो रही है। सभी एमओयू की मॉनिटरिंग के लिए एक समर्पित तंत्र बनाया गया है ताकि तय समयसीमा में इन निवेशों को धरातल पर उतारा जा सके।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह राजस्थान की आर्थिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। राज्य ने निवेश घोषणाओं और वास्तविक कार्यान्वयन के बीच की खाई को पाट दिया है।

7.05 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर कार्य प्रगति पर होने के साथ, राजस्थान देश के सबसे तेज़ी से बढ़ते निवेश गंतव्यों में शामिल हो रहा है- अक्षय ऊर्जा, विनिर्माण उत्कृष्टता और प्रगतिशील नीतियों के बल पर। गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में आयोजित इन्वेस्ट राजस्थान समिट (9-11 दिसंबर) के दौरान राज्य सरकार ने रिकॉर्ड 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए थे।

12 नई नीतियां लाने की तैयारी

निवेश प्रस्तावों को रफ्तार देने के लिए सरकार इसी साल 12 नई नीतियां भी लाने की तैयारी कर चुकी है। इनमें से कुछ नीतियों के ड्रॉफ्ट कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजे जा चुके हैं। आने वाली नई नीतियां इस प्रकार हैं:

एग्रीकल्चर एवं फूड प्रोसेसिंग: किसानों की आय बढ़ाने और एग्रो-बेस्ड इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने पर जोर।

नई औद्योगिक नीति: मैन्युफैक्चरिंग को सशक्त बनाकर बड़े निवेश को आकर्षित करने की योजना।

एविएशन और लगिंग: राजस्थान को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस का हब बनाना, ड्रोन्स और स्पेयर पार्ट्स के लिए तैयार करेंगी नीति।

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए राजस्थान को नया ग्लोबल हब बनाना। मल्टीनैशनल कंपनियों के आने से टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और सपोर्ट सेंटर खुल सकेंगे।

नई टूरिज्म नीति: राजस्थान की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता को नए रूप में पेश करने की कोशिश। हेरिटेज, ईको और ग्रामीण टूरिज्म को प्राथमिकता।

ग्रीन ग्रोथ क्रेडिट नीति: पर्यावरण अनुकूल प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा, जिसमें सोलर एनर्जी, ग्रीन एनर्जी और हरित उद्योग शामिल होंगे।

स्पोर्ट्स नीति: नई प्रतिभाओं के लिए अवसर, विश्वस्तरीय ढांचा का विकास। प्रशिक्षकों और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए बेहतर अवसर पर फोकस।

एफएमसीजी नीति: मैन्युफैक्चरिंग और कृषि की बेहतर उपयोगिता सुनिश्चित कर एफएमसीजी क्षेत्र को बढ़ावा। छोटे और मध्यम उद्योगों की भागीदारी की दिशा में कदम।

आईटी आउटसोर्सिंग और फॉरेस्ट नीति: ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी और युवाओं को रोजगार बढ़ाने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाने की दिशा।

ट्रेड प्रमोशन नीति: व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए योजना।

सेमीकंडक्टर पॉलिसी: टेक्नोलॉजी हार्डवेयर निवेश के लिए नई सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग नीति तैयार की जाएगी।

ड्रोन और एयरो स्पेस पॉलिसी: एयरोस्पेस उद्योगों में निवेश को नई दिशा देने। राज्य में हार्ड-कोर मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस हब स्थापित करने पर फोकस।

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