राजस्थान बना ‘एपरेन्टिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम’ शुरू करने वाला तीसरा राज्य

उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद अब राजस्थान ने भी एपरेन्टिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम लागू कर दिया है। यह उच्च शिक्षा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल शैक्षणिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि उद्योग अनुभव भी देना है।
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उस विजन का हिस्सा है, जिसमें शैक्षणिक शिक्षा के साथ कौशल और व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण किया जाना है। उच्च शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भविष्य उन्हीं छात्रों का है जो पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ काम के लिए भी तैयार हों। AEDP में सामान्य ग्रेज्युएशन प्रोग्राम के साथ व्यावसायिक डिग्री भी मिलेगी।”
यूजीसी ने मार्च 2025 में AEDP के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसके तहत छात्रों को डिग्री के साथ-साथ इंटर्नशिप, स्किल मॉड्यूल्स और एपरेन्टिसशिप का अनुभव मिलेगा। राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कार्यक्रम को स्वीकृति प्रदान कर दी। उन्होंने बताया कि राजस्थान में NAAC से मान्यता प्राप्त 10 कॉलेजों में इस प्रोग्राम की पॉयलट शुरुआत की गई है और इसे जल्द ही सभी कॉलेजों में लागू किया जाएगा।
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राजस्थान विश्वविद्यालय (जयपुर), जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (जोधपुर), मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (उदयपुर) और महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (बीकानेर) जैसे चार प्रमुख विश्वविद्यालय इस कार्यक्रम में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इन विश्वविद्यालयों से संबद्ध 10 कॉलेजों ने AEDP पाठ्यक्रम की शुरुआत कर दी है। इनमें से प्रमुख कॉलेज हैं मीरा गर्ल्स कॉलेज (उदयपुर), डूंगर कॉलेज (बीकानेर) और महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज (चित्तौड़गढ़)।
प्रारंभिक चरण में AEDP के तहत तीन प्रमुख क्षेत्रों में कोर्स संचालित किए जा रहे हैं —
रिटेल मार्केटिंग, जिसमें बिक्री, सप्लाई चेन और ग्राहक प्रबंधन शामिल हैं;
बैंकिंग एवं फाइनेंस, जिसमें वित्तीय सेवाएं, फिनटेक और बीमा सेक्टर पर फोकस किया गया है;
और पर्यटन एवं हॉस्पिटैलिटी, जो राजस्थान की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है।
एक अधिकारी ने बताया कि, “पर्यटन राजस्थान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में एपरेन्टिसशिप छात्रों को वैश्विक नौकरी बाजार में विशेष बढ़त देगी।”
कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सेक्टर स्किल काउंसिल्स (SSCs) द्वारा फैकल्टी को उद्योग आधारित पद्धतियों और आधुनिक शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। छात्र अपने समय को कक्षा और वास्तविक कार्यस्थलों के बीच बांटते हुए व्यावहारिक ज्ञान अर्जित करेंगे।